आरयू वेब टीम।
500 और हजार रुपये के नोटों को बंद करने की प्लानिंग रातों रात नहीं बनी थी। इसके लिए छह महीने पहले से ही खाका खीचा जाने लगा था। देश के काले धन को बाहर लाने, जाली नोटों के बढ़ते चलन पर रोक लगाने और आतंकवादियों को चोट पहुंचाने वाली इस योजना पर आधा साल काम किया गया। जिसके बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा कर दी।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इसकी जानकारी नरेन्द्र मोदी के अलावा सिर्फ छह लोगों को थी। जिसमें प्रिंसिपल सेक्रटरी नृपेंद्र मिश्रा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व और वर्तमान गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली शामिल थे। कहा जा रहा हैं कि इस पूरे मामले में काफी फूंक-फूंककर केन्द्र सरकार ने कदम उठाया। यही वजह हैं कि यह बात किसी भी सूरत में लीक नहीं हो पाई।