बोले योगी, जहां सम्भावनाएं होती हैं, वहीं उठ सकती हैं उंगली

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आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। आज 17वीं विधानसभा के निर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में उन्‍होंने अपने सम्बोधन में कहा कि किसी लोकतंत्र में विधायिका का अपना महत्व होता है। लोकतंत्र की सबसे जवाबदेह संस्था यानी विधायिका के सामने विश्वसनीयता का संकट खड़ा है मगर जहां सम्भावनाएं होती हैं, वहीं उंगली भी उठ सकती है।

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सीएम ने कहा कि इस देश में न्यायपालिका, सेना या नौकरशाही से सेवानिवृत्त व्यक्ति बाद में सांसद या विधायक बनना चाहते हैं, लेकिन फिर भी सांसदों और विधायकों पर उंगली उठती है। मेरा मानना है कि जहां सम्भावनाएं हैं, वहीं उंगली भी उठ सकती है। उन्होंने कहा कि विश्वसनीयता का जो संकट हम सबके सामने है। सदन में हमारी अनुपस्थिति, मर्यादा से परे आचरण तथा जनप्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना भी कारण है। एक व्यक्ति द्वारा फैलायी गयी गंदगी से पूरी व्यवस्था बदनाम होती है।

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साथ ही विधायिका का महत्‍व बताते हुए योगी ने कहा कि जिन तीन स्तम्भों पर लोकतंत्र खड़ा है, उनमें विधायिका की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। इस दौरान योगी ने गोरखपुर के सांसद के रूप में अपने एक अनुभव साझा करते हुए कहा कि सदन में चिल्लाने या हंगामा करने के बजाय एक निश्चित दायरे में रहकर रखी गयी बात ज्यादा प्रभावी होती है और उससे हम बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।

जिस जनता ने हमें चुना है, पांच साल बाद हमें फिर उसी जनता के पास जाना होता है। निश्चित रूप से हमारी जवाबदेही होती है। क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि कोई न्यायाधीश या कार्यपालिका का कोई प्रतिनिधि अधिकारी पांच साल बाद जनता के बीच जाएगा.. बिल्कुल नहीं।

यहां निखारे खुद को

मुख्‍यमंत्री ने नवनिर्वाचित विधायकों को प्रेरणा देते हुए कहा कि सदन खुद को निखारने का बहुत सुंदर मंच है। यहां आपकी कही गयी बात कई पीढ़ियों का माग र्दशन कर सकती है। आपने जो बात कही, वह आने वाले समय में इस विधानसभा की सम्पत्ति हो जाएगी। आपके वचन और आचरण भविष्य में आपके रचनात्‍मकता का निर्माण करेंगे।

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योगी ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही वर्ष में कम से कम 90 दिन चलनी चाहिये थी, वह हाल के वर्षों में 20-25 दिन चलती थी। अगर हम कार्यवाही को फिर से 90 दिन चलाएंगे यह हमारे लिए एक चुनौती है। सदन की कार्यवाही 90 दिन चलने का मतलब है कि किसी थाने या तहसील में कोई गड़बड़ी नहीं होने पाएगी। इस कार्यक्रम में पहली बार विधायक बने 238 जनप्रतिनिधियों समेत विभिन्न दलों के विधायकों ने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी।