दीपक मिश्रा बने 45वें चीफ जस्टिस, जानें उनके खास फैसले

चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा।

आरयू वेब टीम।

जस्टिस दीपक मिश्रा ने आज देश के चीफ जस्टिस के पद की शपथ ग्रहण की। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्‍ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित एक सादे समारोह में उन्‍हें देश के 45वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ग्रहण कराई।

दीपक मिश्रा देश के 21वें मुख्‍य न्‍यायाधीश रंगनाथ मिश्र के भतीजे हैं। दीपक मिश्रा ने शनिवार को चीफ जस्टिस जेएस खेहर के सेवाकाल समाप्‍त होने के बाद आज उनकी जगह शपथ ली। इससे पहले दीपक मिश्रा पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। देश के चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल आज से शुरु होकर दो अक्टूबर 2018 तक रहेगा। इसके बाद वह रिटॉयर हो जाएंगे। 63 साल के दीपक मिश्रा की नियुक्ति वरिष्‍ठता के आधार पर की गई है।

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दीपक मिश्र के कुछ अहम आदेश

दिल्‍ली में हुए देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया कांड के मामले में दीपकर मिश्रा की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने 5 मई, 2017 को इससे जुड़े चार अभियुक्तों को मौत की सजा सुनायी थी।

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वहीं पदोन्नति में आरक्षण के मामले में जस्टिस मिश्रा और न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा कि पदोन्नति में आरक्षण केवल तभी प्रदान किया जा सकता है जब पर्याप्त डेटा और जरूरतों का औचित्य सिद्ध करने के लिए साक्ष्य हों।

जस्टिस दीपक मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को यह निर्देश दिया था कि वह ऐसी व्यवस्था करे कि प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड हो जाए।

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जानें कुछ बातें चीफ जस्टिस के बारे में

तीन अक्‍टूबर 1953 को जन्‍में दीपक मिश्रा ने 1977 में ओड़िशा हाईकोर्ट में अधिवक्ता के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था और वकालत शुरू की थी। फिर 1996 में ओड़िशा उच्च न्यायालय के अपर न्यायाधीश बने। जबकि 1997 में उन्हें जज बनाकर मध्यप्रदेश भेज दिया गया। वहीं 2009 में वे पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और मई 2010 तक वे इस पद पर रहे। वह कुछ समय दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस भी रहे। वर्ष 2011 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बना दिया गया।