मोदी की नई नीति से तो कभी नहीं चल पाएगी, काशी, कानपुर और इलाहाबाद में मेट्रो: मायावती

जीवा मर्डर
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। शहरों में मेट्रो दौड़ने के लिए बुधवार को मोदी सरकार के ‘नयी मेट्रो रेल नीति’ के जारी करने के दूसरे दिन ही आज बसपा सुप्रीमो ने उसे जनविरोधी बताने के साथ ही मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इससे काशी, कानपुर व इलाहाबाद में मेट्रो रेल की स्थापना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हो गयी है। वहीं लखनऊ मेट्रो के सम्पूर्ण विस्तार पर भी संकट के बादल छा गए हैं।

पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा कि सच तो यह है कि देश की बदतर परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश के तहत ही मेट्रो रेल परियोजना 2002 में दिल्ली से शुरू की गयी थी, जिसमें केन्द्र सरकार आर्थिक सहयोग करती थी। परन्तु मोदी सरकार ने जनहित के इस काम से मुँह मोड़कर अपने आपको इससे अलग करने का फैसला किया है। मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में भी सरकारी जिम्मेदारी से हाथ खींचकर जो नई नीति तैयार की है उसने पूंजीपतियों व धन्नासेठों की भागीदारी को लाजिमी बना दिया है।

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बसपा सुप्रीमो ने कहा कि इससे मेट्रो का विभिन्‍न शहरों में विस्तार रूक जाने की आशंका है, क्योंकि निजी क्षेत्र की कम्पनियाँ कम आमदनी वाली परियोजनाओं में निवेश नहीं करती हैं। मोदी सरकार का इस प्रकार का जनविरोधी रवैया अति-निन्दनीय है। इससे राज्यों का विकास खासकर शहरी परिवहन विकास बुरी तरह से प्रभावित होगा। केन्‍द्र सरकार धीरे-धीरे ‘कल्याणकारी सरकार’ होने की तमाम जिम्मेदारियों से भागती जा रही है।

‘हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात’

वहीं मायावती ने अपने बयान में किसानों के हितों की बात करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की कर्जमाफी व सभी लघु एवं सीमान्त किसानों का फसली ऋण माफ करने की जगह सिर्फ एक लाख रुपए तक का फसल ऋण माफी की शुरूआत की है जो ‘हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात’ जैसा है। उन्‍होंने आगे कहा कि सच तो यह है कि ये बीजेपी के शीर्ष नेताओं की चुनावी घोषणाओं व उस समय जारी ’लोक कल्याण संकल्प पत्र’ दोनों का ही उपहास है। यह वादों से मुकरना है तथा अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था एवं स्वास्थ्य आदि के जनहित के मामलों के साथ ही योगी सरकार की एक और चुनावी वादा खिलाफी है।

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