जमीन घोटाले में यूपी की पूर्व मुख्‍य सचिव को अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा

आरक्षण

आरयू वेब टीम।

उत्‍तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍य सचिव नीरा यादव को आज सुप्रीम कोर्ट ने एक जमीन घोटाले के मामले में दोषी माना है। हालांकि दोषी मानने के बाद भी देश की उच्‍चतम न्‍यायालय से नीरा यादव को कुछ राहत ही मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1993-95 में नोएडा में हुए जमीन आवंटन घोटाले में दो साल की सजा आज सुनाई है। जबकि इससे पहले हाईकोर्ट ने उन्‍हें इसी मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने नीरा यादव की सजा एक साल कम कर दी है।

नीरा यादव पर आरोप था कि नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रहते उन्‍होंने अपनी बेटियों और डिप्टी सीईओ राजीव कुमार को फर्जी तरीके से प्लॉट आवंटित किए थे। जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमती की एक पीठ ने इसी मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को भी दोषी माना।

यह भी पढे़ं- SC: बाबरी विध्‍वंस के मामले में आडवाड़ी, जोशी, उमा समेत 13 पर चलेगा साजिश का केस

बता दें कि सीबीआई ने आरोप लगाया था कि साल 1971 के बैच की आईएएस अधिकारी नीरा यादव ने नोएडा में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर रहते हुए नियमों का उल्लंघन किया और एक अहम जमीन को एक उद्योगपति को आवंटित कर दिया था। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि नीरा ने गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए तय जमीन का इस्तेमाल बदलने के लिए साल 1983 के बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। उन पर नियमों का उल्लंघन करके इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का भी आरोप है। इस घटनाक्रम के दौरान राजीव उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे।

यह भी पढे़ं- निर्भया के गुनाहगारों को होगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी माफी

जांच एजेंसी ने कहा था कि नोएडा में सीईओ रहने के दौरान नीरा ने लोकसेवा से जुड़े अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और नियमों का उल्लंघन करके अपने लिए एक जमीन आवंटित करवा लिया।