प्रद्युम्‍न की हत्‍या के बाद स्‍कूली बच्‍चों की सुरक्षा के लिए SC ने उठाया ये कदम

बिल्डर-बायर एग्रीमेंट

आरयू वेब टीम।

गुडगांव के रेयान इंटरनेशनल स्‍कूल में हुई मासूम की निर्मम हत्‍या और गाजियाबाद के एक निजी स्कूल में पिछले महीने नौ वर्षीय छात्र की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत से देश भर में बच्‍चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक परेशान हैं। ऐसे में बच्‍चों की सुरक्षा को लेकर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

गाजियाबाद जिले के इन्दिरापुरम क्षेत्र में स्थित जी डी गोयनका पब्लिक स्कूल के चौथी के छात्र अरमान सहगल की एक अगस्त को मत्यु हो गयी थी। यह याचिका अरमान सहगल के पिता गुलशन सहगल ने दायर की थी। उन्‍होंने गुरूग्राम में रेयान इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में सात वर्षीय छात्र की हत्या को जोड़ते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया है कि उनके पुत्र की रहस्यमय परिस्थितियों में मत्यु के मामले की सीबीआई अथवा विशेष जांच दल से जांच कराना बहुत जरूरी है क्योंकि स्कूल प्रबंधन पहले ही इस मामले के साक्ष्य नष्ट कर चुका है।

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देश भर के स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन बनाने और लागू वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर तीन सप्‍ताह के अंदर जवाब मांगा है।

देश की उच्‍चतम न्‍यायालय ने एसजी को कोर्ट की मदद करने को कहा है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने भी रेयान स्‍कूल के छात्र प्रद्युम्‍न के पिता की अर्जी के साथ जोड़ा है। इस संबंध में वकील आभा शर्मा व अन्य वकीलों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

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उन्‍होंने इस याचिका में कहा है कि रेयॉन और अरमान के साथ घटित घटना के बाद से देशभर के अभिभावकों में डर व्‍याप्‍त है। अधिकतर स्‍कूल बच्चों की सुरक्षा के लिए तैयार पॉलिसी का पालन नहीं करते हैं। स्‍कूलों की इस तानाशाही पर अब सुप्रीम कोर्ट हस्‍तक्षेप कर आदेश जारी करे ताकि स्‍कूल संचालक इनका सही तरह से पालन करें।

याचिका में की गई यह मांग

देशभर में बच्चों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त गाइडलाइन बनाई जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि जो पहले से ही दिशा-निर्देश बनाए गए हैं अगर कोई स्कूल उनका पालन नहीं करता तो उन स्कूलों का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए।