प्रदेश को अंधकार युग में ले जाने वाला साबित होगा वादों के अंबार वाला बजट : अखिलेश

हठधर्मी
अखिलेश यादव। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। योगी सरकार के आज दूसरा बजट पेश करने के बाद पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि योगी सरकार के बजट में अनर्गल बयानबाजी और वादों का अंबार हैं। जबकि नागरिक सुरक्षा, नौजवानों के भविष्य और किसानों को लूट से आजादी दिलाने की दिशा में किसी समयबद्ध योजना का अता-पता नहीं। इस तरह से यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक व प्रदेश के भविष्य को अंधकार युग में ले जाने वाला साबित होगा।

70 लाख नौकरियों के वादे पर उठाएं सवाल

पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार का यह दूसरा बजट था, जबकि पहले बजट का व्यय अस्पष्ट है। जिन मदों में धनराशि पहले बजट में रखी गई थी उसका पता नहीं चला। अच्छा होता पहले का हिसाब दिया जाता। साथ ही बजट में रोजगार की योजनाओं का कोई उल्लेख नहीं हैं। स्टार्ट अप, ईज ऑफ इण्डिया बिजनेस, समिट के सुनहरे सपने तो बढ़चढ़कर दिखाए गए है पर रोजगार की योजनाएं नदारद हैं। शिक्षामित्रों, अधिवक्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कोई जिक्र नहीं है। जबकि भाजपा ने चुनाव में पांच साल में 70 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, साल भर में कोई नौकरी नहीं मिली। 33000 पुलिस भर्ती की घोषणा भी हवाई साबित हुई।

अपराध नियंत्रण के लिए कुछ नहीं

अपराध नियंत्रण की बात करते हुए अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि इस बजट में अपराध नियंत्रण की कोई ठोस योजना सामने नहीं आई। जबकि महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं कम नही हो रही है। एनकाउण्टर के नाम पर न निर्दोषों की हत्याएं रूक रही है और न ही थानों पर भाजपा नेताओं के हमले रूक रहे हैं। अल्पसंख्यक दहशत में जी रहे हैं। वहीं व्यापारियों के लिए भी बजट में कोई सुविधा नहीं है।

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प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए कोई धन नहीं दिया गया फिर प्रदेश के 1.6 करोड़ परिवारों को कैसे बीमा का लाभ मिल पाएगा? कृषि के मद में भाजपा ने 36653 करोड़ रूपए पिछले बजट में रखे थे कहां गया बजट? किस किसान का कितना कर्जा माफ हुआ? जबकि कर्जे के बोझ से किसान आज भी आत्महत्या करने को मजबूर है। 2017 के संकल्प-पत्र में लैपटाप वितरण का भी वादा था उसका कोई जिक्र नहीं है।

पूरी तरह भ्रामक हैं विकास की संकल्‍पना

सपा अध्‍यक्ष ने तर्क देते हुए आगे कहा कि योगी सरकार ने चार लाख 28 हजार 384 करोड़ 52 लाख रूपये के बजट में 44 हजार 53 करोड़ 32 लाख रूपए का राजकोषीय घाटा अनुमानित है जो वर्ष 2018-19 के लिए अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.96 प्रतिशत है। राज्य की ऋणग्रस्तता सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 29.8 प्रतिशत अनुमानित है। इससे स्पष्ट है कि लोककल्याण संकल्प-पत्र में विकास की संकल्पना पूरी तरह भ्रामक है।

बजट में की गयी कमजोर वर्ग की उपेक्षा: नरेश उत्‍तम

वहीं दूसरी ओर सपा के प्रदेश अध्‍यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने अपने एक बयान में कहा कि योगी सरकार के बजट में समाज के कमजोर वर्ग के हितों की उपेक्षा की गयी है। इस बजट में छात्रों-नौजवानों की बेरोजगारी दूर करने की दिशा में ठोस नीतियों का अभाव है।

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प्रदेश अध्‍यक्ष ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर जनता को भ्रमित करने वाला बजट पेश किया हैं। विकास की सुस्त रफ्तार, किसानों की बदहाली, महिलाओं की असुरक्षा जैसी समस्याओं को दूर करने में सरकार ने बजट के माध्यम से कोई रूचि नहीं दिखायी। दस महीने में ही प्रदेश की भाजपा सरकार से जनता निराश हो गयी।