SC ने खारिज की कांग्रेस की याचिका, येदियुरप्पा ने ली CM पद की शपथ

कांग्रेस की याचिका
शपथ ग्रहण करते येदियुरप्‍पा।

आरयू वेब टीम। 

कर्नाटक में बीजेपी को सरकार बनाने वाले राज्‍यपाल के न्योता देने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। वहीं भाजपा विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

सरकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रातभर चली कानूनी लड़ाई के बाद येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 75 वर्षीय येदियुरप्पा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने राजभवन में एक समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। येदियुरप्पा ने कर्नाटक 25वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। यह तीसरी बार है जब येदियुरप्पा को कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। उनके स्वागत के लिए राजभवन के बाहर जबरदस्त तैयारियां की गई। जगह-जगह ढोल-नगाड़े बज रहे थे।

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याचिका खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा…

रात भर चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका खारिज कर कहा कि येदियुरप्पा पहले से तय समय पर ही शपथ लेंगे। हम राज्यपाल के फैसले पर न्यायिक समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें रोकने के आदेश कैसे जारी करें। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को आदेश जारी नहीं करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे पास वो चिट्ठी तक नहीं है, जो राज्यपाल ने बीजेपी को लिखी है। ऐसे में हम शपथग्रहण को नहीं रोक सकते। उच्‍चतम न्‍यायालय ने कहा कि हम पहले वो चिट्ठी देखना चाहते हैं। उसके बाद शुक्रवार सुबह 10:30 बजे फिर इस मामले पर सुनवाई होगी।

वहीं मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एजी से पूछा कि क्या मंत्रिमंडल से पहले विधायकों को शपथ दिलाई जा सकती है, जिसके जवाब में एजी ने कहा कि ऐसी परंपरा नहीं है। पहले सीएम और मंत्रिमंडल ही शपथ लेते हैं।

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बता दें कि कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस-जेडीएस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ऐतराज जताते हुए कहा कि शपथ ग्रहण को दो दिनों के लिए क्यों नहीं टाला जा सकता। शपथ हो गया तो फिर क्या अर्थमैटिक बचेगा। कम से कम आज शाम साढ़े चार बजे तक शपथ को टाला जाए और येदियुरप्पा की चिट्ठी फैक्‍स के जरिए मंगाई जाए।

ऐसा करने से पूरी स्थिति साफ हो जाएगी। सिंघवी की इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट राजी नहीं हुआ। सिंघवी ने कहा कि हमारे पास 117 विधायक हैं। राज्यपाल से मुलाकात के बाद कुमारस्वामी ने बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा भी कर दिया था, इसके बावजूद राज्यपाल ने हमें नहीं बुलाया।

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