आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वंदे मातरम’ गीत की 150वीं वर्षगांठ पर इसे राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह गीत न केवल गायन है, बल्कि कर्तव्यों की अभिव्यक्ति है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि हम अपने अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन क्या उतनी ही गंभीरता से कर्तव्यों का जिक्र करते हैं? यही कारण है कि पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने कर्तव्य पथ पर चलकर नई ऊंचाइयों को छुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे जवान सियाचिन के ग्लेशियर हो या थार के रेगिस्तान, सीमाओं की रक्षा करते हुए भी ‘वंदे मातरम’ गाते हैं. यह गीत फांसी के फंदे को चूमने वाले क्रांतिकारियों के होंठों पर था और आज भी हर भारतीय के दिल में राष्ट्रप्रेम जगाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत बांग्ला और संस्कृत में लिखा गया, जिसमें जाति, धर्म या मजहब का कोई जिक्र नहीं है। ये सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधता है।
सीएम ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि करीब सौ साल पहले एक महामारी में भारत की 30 करोड़ आबादी में करोड़ों लोग मारे गए थे, लेकिन आजादी के बाद, खासकर कोरोना काल में, भारत ने वैश्विक स्तर पर शानदार प्रबंधन किया। उन्होंने इसे ‘वंदे मातरम’ की भावना से जोड़ा, जो व्यक्ति को मत-मजहब से ऊपर उठाकर राष्ट्र के लिए सोचने की प्रेरणा देता है।
योगी ने याद दिलाया कि 1950 में ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगीत की मान्यता दी गई थी। यह गीत आजादी की लड़ाई का मंत्र बना और आज भी नई राष्ट्रीयता का भाव पैदा करने में सफल है। उन्होंने कहा, “यह गीत केवल गायन नहीं, बल्कि कर्तव्यबोध का आह्वान है। यह हमें सिखाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है।”
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में राज्य ने कानून-व्यवस्था, निवेश, आधारभूत संरचना और गरीब कल्याण में अभूतपूर्व प्रगति की है। “ये सब कर्तव्यों की अभिव्यक्ति का परिणाम है। ‘वंदे मातरम’ हमें यही सिखाता है कि अधिकारों से पहले कर्तव्य आते हैं।”
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम’ का गायन किया। सीएम ने सभी से अपील की कि स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर इस गीत को नियमित रूप से गाया जाए ताकि युवा पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यभावना मजबूत हो।




















