CJI बनने के बाद पहली बार लखनऊ पहुंचे डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हिंदी में भी होने चाहिए कोर्ट के फैसले व लॉ की पढ़ाई

लखनऊ में सीजीआइ
छात्रा को डिग्री देते सीजीआइ डीवाई चंद्रचूड़ साथ में सीएम योगी।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शनिवार को सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़  बतौर मुख्‍य अतिथि शामिल हुए। सीजेआइ चंद्रचूड़ ने इस दौरान स्थानीय भाषा में न्याय देने पर जोर दिया। दीक्षांत समारोह को संबोधित कर कहा कि न्यायालयीन आदेश अंग्रेजी की बजाय स्थानीय भाषा में दिए जाने चाहिए। सीजेआइ ने लॉ की पढ़ाई भी हिंदी भाषा में कराए जाने का सुझाव दिया।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, बीएएलएलबी और एलएलएम का कोर्स हिंदी में भी शुरू किए जाने चाहिए। बताया कि कोर्ट के कई ऐसे फैसले होते हैं, जो हिंदी में न होने से आमजन को समझ ही नहीं आते। इसलिए अंग्रेजी और हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषा में भी फैसले सुनाए जाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बताया कि दो साल पहले मैं लखनऊ निजी कार्यक्रम में आया था, लेकिन सीजेआइ बनने के बाद मेरा पहला लखनऊ दौरा है। यहां रहकर मुझे यूपी के हार्ट के बारे में जानने का मौका मिला। रेजिडेंशियल कैंपस बनाकर अलग-अलग बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स को बेहतर माहौल में शिक्षा देना शानदार प्रयास है।

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इस दौरान सीजेआइ ने ग्रेजुएट्स से कहा, कॉर्पोरेट जॉब की बजाय न्याय क्षेत्र में कॅरियर बनाएं। बताया, 2017 में आरएमएल के लॉ ग्रेजुएट ने मेरे आफिस में इंटर्न किया और आज वह सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्रार जनरल हैं। अनुभव साझा करते हुए सीजेआइ ने कहा, मेरा स्टाफ 80 से सौ फाइल कंधों पर लेकर आते हैं, लेकिन अब काफी कुछ बदल गया है।

सीजेआइ चंद्रचूड़ ने न्याय की प्रक्रिया आमजन के लिए आसान बनाए जाने पर जोर दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का आम लोगों के अनुवाद किया जा रहा है। 1950 से अब तक 37000 जजमेंट का हिंदी अनुवाद किया जा चुका है। जिसका लाभ अपनी समझ बढ़ाने में किया जाना चाहिए। लखनऊ में हिंदुस्तानी तो पूर्वी इलाके में भोजपुरी बोली जाती है, लेकिन कानून के क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा पर जोर है। जज और वकील अंग्रेजी में दक्ष हैं, लेकिन आम लोग इससे अनजान हैं।

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सीजेआइ ने बताया कि 81 कॉलेजों के सर्वे से पता चला है कि जनता को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान न होने से उन्हें परेशानी होती है। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता, लेकिन इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि फैसले स्थानीय भाषा में लिखे जाने चाहिए। आरएमएलएनएलयू को भी हिंदी में एलएलबी कोर्स करना चाहिए। छात्र को खसरा-खतौनी की जानकारी नहीं है तो वह ऐसे मामलों में लोगों की मदद कैसे कर पाएंगे।
250 से अधिक ज्यूडिशियल ऑफिसर मिले: वीसी

दीक्षांत समारोह में कुलपति अमर पाल सिंह ने बताया कि लखनऊ लॉ यूनिवर्सिटी ने अब तक 250 से ज्यादा ज्यूडिशियल ऑफिसर दिए हैं। लीगल एजुकेशन मूल्यवान शिक्षा है। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली भी शामिल हुए। कुलपति ने सभी के प्रति आभार जताया। अतिथियों ने 132 मेधावियों को पदक देकर सम्मानित किया। इनमें बीए-एलएलबी के 1058, एलएलएम के 133, डिप्लोमा के 178 व पीएचडी के 60 स्टूडेंट्स को उपाधि दी गई।

दीक्षांत समरोह के दौरान यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ समेत अन्‍य गणमान्‍य लोगा व छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहीं। सीजीआइ व सीएम ने छात्रों को उपाधि देकर सम्‍मानित भी किया।

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