आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने 4:1 के बहुमत से 6A को बरकरार रखा है, हालांकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस पर अपनी असहमति जताई, जबकि बाकी जस्टिस सूर्यकांत, एम एम सुंदरेश और मनोज मिश्रा इसके समर्थन में रहे।
सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश उस याचिका पर आया जिसमें दलील दी गई थी कि बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से शरणार्थियों के आने से असम के जनसांख्यिकीय संतुलन पर असर पड़ा है। इसमें कहा गया कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6A राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
फैसले को पढ़ते हुए सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कहा कि धारा 6A का अधिनियमन असम के सामने आने वाली एक अनोखी समस्या का राजनीतिक समाधान था, क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में भारी संख्या में अवैध प्रवासियों के आने से इसकी संस्कृति और जनसांख्यिकी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था। सीजेआइ ने कहा कि केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि ये असम के लिए यूनीक था. असम में आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति वगैरह पर उनका प्रभाव असम में अधिक है. असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है क्योंकि असम में भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल की तुलना में कम है।
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धारा 6A असम में आए बांग्लादेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिक के रूप में खुद को पंजीकृत करने की अनुमति देता है। सेक्शन-6 के मुताबिक जो बांग्लादेशी अप्रवासी एक जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आये हैं वो भारतीय नागरिक के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकते है, हालांकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं हैं।
क्या है सिटिजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6A?
सिटिजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6A भारतीय मूल के उन विदेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देती है, जो एक जनवरी, 1966 के बाद लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले असम आए थे। कट-ऑफ तिथि यानी 25 मार्च, 1971 वो तारीख थी, जब बांग्लादेश मुक्ति युद्ध खत्म हुआ था। 1985 में असम समझौते के बाद ये प्रावधान जोड़ा गया था, जो भारत सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हुआ एक समझौता था। इन नेताओं ने बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए विरोध किया था। 6A के प्रावधान को चुनौती देने वाले असम के कुछ मूल निवासी समूहों का तर्क है कि ये बांग्लादेश से विदेशी प्रवासियों की अवैध घुसपैठ को वैध बनाता है।