आरयू वेब टीम। संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष ने इस बारे में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि हमने आदेश देखा है। वर्तमान में हम इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिलना चाहिए फिर चाहे जिला कोर्ट से हो या फिर हाई कोर्ट से।
सीजेआइ ने कहा कि यह मामला हमारे पास लंबित है। हम चाहते हैं कि क्षेत्र में शांति बरकरार रहे। जिला कोर्ट मेडिएशन पर भी विचार कर सकता है। साथ ही कहा कि अगर मस्जिद कमेटी सिविल जज के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करती है तो तीन दिन में उसे सुनावई के लिए लगाया जाएगा। याचिका को हम फिलहाल लंबित रख रहे हैं। सीजेआइ ने कहा कि छह जनवरी के बाद से हम केस को लिस्ट करेंगे।
आगे कहा, हम चाहते हैं संभल में शांति रहे, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में निचली अदालत कोई ऐक्शन ना ले। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश विवाद के शांतिपूर्ण समाधान और संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी तनाव से बचने की दृष्टि से दिया गया है। कमिश्नर रिपोर्ट सीलबंद ही रखी जाए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संभल जिला प्रशासन को शांति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला प्रशासन संभल में कानून व्यवस्था बनाए रखे। अदालत ने कहा कि प्रशासन संभल में शांति व्यवस्था बनाए रखे। अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बिना कोई ऐक्शन ना लिया जाए। इससे पहले शीर्ष अदालत ने मस्जिद कमेटी से पूछा कि आप इस मामले में हाईकोर्ट क्यों नहीं गए
मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि 19 नवंबर को मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया। संभल कोर्ट में इस दावे की याचिका दायर की गई। उसी दिन सीनियर डिविजन के सिविल जज ने सुनवाई की। मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना अदालत ने सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया।
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इतना ही नहीं 19 नवंबर की शाम को ही एडवोकेट कमिश्नर सर्वे के लिए पहुंच भी गए। 24 नवंबर को दोबारा सर्वे के लिए टीम पहुंची। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि लोगों को कुछ समझ नहीं आया। वे अपने घरों से इसी वजह से बाहर निकले। इस दौरान भीड़ उग्र हो गई और हिंसा भड़क गई।