संसद में INDIA के सांसदों ने किया प्रदर्शन, “मोदी अडानी एक है” के नारे लगाकर उठाई जांच की मांग

मोदी अडानी एक है
संसद परिसर में अडानी समूह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन करते सांसद।

आरयू वेब टीम। अडानी समूह से जुड़े विवादों पर तीखी बहस के बीच इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। जिसमें कांग्रेस के साथ इंडिया ब्लॉक के सभी विपक्षी प्रमुख दलों ने भाग लिया और मोदी अडानी एक है जैसे नारे भी जमकर लगाएं।

इंडिया के सांसदों ने अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए जेपीसी के गठन पर जोर दिया। इंडिया ब्लॉक की प्रमुख मांगों में अडानी समूह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच। सरकार द्वारा कॉर्पोरेट प्रशासन में पारदर्शिता की गारंटी, आर्थिक मामलों में जवाबदेही और नैतिकता सुनिश्चित करना शामिल है। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी के नेतृत्व में अन्य सांसदों ने सरकार पर वित्तीय अनियमितताओं को नजरअंदाज करने और अडानी समूह को बचाने का आरोप लगाया।

विपक्ष की मुख्य मांग संयुक्त संसदीय समिति का गठन है, जो अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की गहन और निष्पक्ष जांच कर सके। यह विरोध न केवल आरोपों की गंभीरता को उजागर करता है। बल्कि देश की आर्थिक प्रथाओं में पारदर्शिता और नैतिक शासन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अडानी समूह के साथ हितों के टकराव और नैतिक शासन के उल्लंघन का आरोप लगाया। साथ ही दावा किया कि वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित आरोपों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।

देश की आर्थिक अखंडता-नैतिकता की रक्षा का मामला

राहुल गांधी ने विरोध के दौरान कहा कि यह सिर्फ अडानी समूह के आरोपों की बात नहीं है। बल्कि यह देश की आर्थिक अखंडता और नैतिकता की रक्षा का मामला है। साथ ही प्रियंका गांधी ने भी जोर दिया कि हमारी लड़ाई पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए है। अगर सरकार के पास कुछ छिपाने को नहीं है तो जेपीसी की मांग को मानने में क्या दिक्कत है।

भविष्य में वित्तीय घोटालों को रोकने के लिए भी उदाहरण

विपक्ष का कहना है कि अडानी समूह के संचालन की निष्पक्ष जांच न केवल मौजूदा आरोपों को संबोधित करने के लिए जरूरी है। बल्कि यह भविष्य में वित्तीय घोटालों को रोकने के लिए भी एक उदाहरण स्थापित करेगा। जेपीसी की मांग को लेकर विपक्ष का यह विरोध भारतीय राजनीतिक माहौल में एक महत्वपूर्ण क्षण है। क्योंकि यह देश में कॉर्पोरेट और राजनीतिक जवाबदेही की दिशा में एक ठोस कदम उठाने का आह्वान करता है।

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दरअसल अडानी समूह के विवादों पर संसद परिसर में हुआ यह विरोध प्रदर्शन भारतीय राजनीतिक और आर्थिक तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित करता है। विपक्ष का यह सामूहिक प्रदर्शन केवल एक पार्टी का विरोध नहीं है। बल्कि यह देश की आर्थिक अखंडता और नैतिक शासन की रक्षा करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया और इस विरोध के परिणाम पर देश भर की निगाहें टिकी रहेंगी।

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