आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विधायक अब्बास अंसारी को राज्य के गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में सशर्त जमानत दे दी है। पीठ ने अब्बास को लखनऊ में अपने आधिकारिक आवास में रहने और मऊ में अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने से पहले अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेने का निर्देश दिया है।
बेंच ने अब्बास अंसारी को अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ने और अदालत में पेश होने से एक दिन पहले पुलिस अधिकारियों को सूचित करने का भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान योगी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अब्बास अंसारी को किसी भी तरह की राहत दिए जाने का कड़ा विरोध किया। नटराज ने तर्क दिया कि वह बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अंसारी समाज के लिए खतरा है। अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वह सबूतों से छेड़छाड़ करेंगे और गवाहों को धमकाएंगें।
नटराज ने पीठ से अनुरोध किया कि कम से कम उन्हें मामले में दो या तीन प्रमुख गवाहों से पूछताछ करने की अनुमति दी जाए। अंसारी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को अन्य मामलों में भी जमानत दी गई है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में गवाह सभी पुलिस अधिकारी हैं और यह कहना सही नहीं होगा कि वह गवाहों को धमकाएंगे। दलीलें सुनने के बाद बैंच ने अंसारी द्वारा जमानत शर्तों के अनुपालन पर पुलिस से छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट मांगी।
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बता दें कि अब्बास अंसारी को चार नवंबर 2022 को एक अन्य आपराधिक मामले में हिरासत में लिया गया था, लेकिन छह सितंबर 2024 को उसे गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। पीठ को बताया गया कि गैंगस्टर एक्ट मामले को छोड़कर सभी आपराधिक मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है। पिछले साल दिसंबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।