आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को होने वाली बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि परीक्षा में पेपर लीक हुआ, लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई तीखे सवाल किए।
सुनवाई करते हुए जस्टिस मनमोहन ने कहा कि हर कोई एक-दूसरे की असुरक्षा से खेल रहा है। साथ ही कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई भी परीक्षा अपने निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पा रही। हमें हर किसी पर गड़बड़ी का संदेह है और परीक्षकों का स्तर भी उतना ऊंचा नहीं है। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से एक वीडियो पेश किया गया था, जो कथित पेपर लीक का प्रमाण माना जा रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे नाकाफी बताते हुए कहा वीडियो से ये स्पष्ट नहीं होता कि यह कौन सा परीक्षा केंद्र है।
इससे पहले जनवरी में भी इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी, जिसे खारिज कर पटना हाइ कोर्ट भेजा गया था। वहां आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट ने याचिका दायर की, लेकिन हाइ कोर्ट ने भी साफ शब्दों में याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोई “व्यवस्थित अनियमितता” नहीं पाई गई।
अब जब मुख्य परीक्षा 25 अप्रैल से शुरू होने जा रही है, याचिकाकर्ता ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में रुख किया। याचिका में कहा गया कि एक परीक्षा केंद्र पर पेपर व्हाट्सएप के जरिए लीक हुआ और उसे लाउडस्पीकर पर पढ़ा गया। इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि “मोबाइल की अनुमति थी? जब वकील ने कहा कि आधिकारिक रूप से नहीं, तो कोर्ट ने कहा तब तो हमें यह मानना होगा कि मोबाइल की अनुमति नहीं थी।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि बीच में एक वीडियो चलाया गया, लेकिन उससे यह नहीं स्पष्ट होता कि यह परीक्षा केंद्र कौन सा है। अगर लाउडस्पीकर का दावा कर रहे हैं, तो रिकॉर्ड पर लाइए कि कौन से केंद्र में ये हुआ। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि बीपीएससी हर बार चार सेट प्रश्नपत्र तैयार करता है और किसी भी केंद्र पर कोई भी सेट हो सकता है। ऐसे में किसी भी एक प्रश्नपत्र को लाउडस्पीकर से पढ़कर सब तक पहुंचाना संभव नहीं है।