लखनऊ का ग्रीन लंग्‍स बचाने को दौड़े युवा, चलाया ‘रन फॉर कुकरैल’ कैंपेन

लखनऊ का ग्रीन लंग्‍स

आरयू संवाददाता, लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ के ग्रीन लंग्‍स माने जाने वाले कुकरैल के जंगल बचाने के लिए आज लखनऊ के युवाओं ने दौड़ लगाकर रन फॉर कुकरैल कैंपेन चलाया। कुकरैल रिजर्व फॉरेस्‍ट में ‘सिटीजन फॉर लखनऊ’ और ‘कुकरैल रनर’ संस्‍था की ओर से जुटे सैकड़ों युवाओं ने इस कैंपेन में हिस्‍स लेने के साथ ही जंगल बचाने का भी संकल्‍प लिया।

उनका कहना था कि इस कैंपने का उद्देश्य लखनऊ के इस महत्वपूर्ण हरित क्षेत्र को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए जागरूकता फैलाना है। कैंपेन के माध्यम से वनों पर बढ़ते पारिस्थितिकीय खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ायी गयी और कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट जैसे नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र में जंगल सफारी और चिड़ियाघर की स्थापना का  विरोध किया गया।

“हरे पेड़ और साफ हवा इससे बढ़कर नहीं दवा”, “पशु-पक्षी कर रहें पुकार उजाड़ो मत हमारा” संसार जैसे दर्जनों स्‍लोगन लिखी टी शर्ट पहने युवाओं ने कुकरेल इंट्री गेट से कुर्सी रोड के बाइसेक्शन तक करीब दो किलोमीटर की दौड़-वॉक में हिस्सा लिया।

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संस्‍था के सदस्‍यों का इस दौरान कहना था कि इस अवसर के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई टी-शर्ट्स प्रतिभागियों को वितरित की गईं, जो अभियान के प्रति एकजुटता का प्रतीक भी बनीं। यह अभियान शांतिपूर्ण विरोध का मंच बना, जिसमें प्रस्तावित जंगल सफारी और चिड़ियाघर परियोजना का विरोध किया गया।

इसके अलावा कुकरैल रिज़र्व फारेस्ट में पहले से ही अतिक्रमण, मेडिकल और नगरपालिका कचरे के डंपिंग के कारण वन क्षेत्र को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। इसके अलावा कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट का दुरुपयोग भी उन लोगों द्वारा किया जा रहा जो बिना वन अधिकारीयों और कर्मियों द्वारा रोकटोक के अवैध रूप से शराब पीने के उद्देश्य से जंगल में प्रवेश करते हैं।

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इस मौके पर निहारिका, धर्मवीर, आलोक और ज्योत्सना ने जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट और बढ़ते प्रभावों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कुकरैल को संरक्षित करना शहर के ‘ग्रीन लंग्स’ की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने वनों की घटती हरियाली, जैव विविधता की रक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

साथ ही वक्ताओं ने भारतीय संविधान में निहित पीढ़ी दर पीढ़ी समानता के सिद्धांत का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान पीढ़ी को प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए कि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और उपलब्ध रहें। कार्यक्रम का समापन इस सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट के पारिस्थितिक संतुलन की रक्षा के लिए नागरिक मिलकर निरंतर प्रयास करते रहेंगे।