आरयू ब्यूरो, लखनऊ। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को चुनाव सुधारों पर चर्चा हो रही है, जिसमें विपक्षी दल मौजूदा एसआइआर प्रक्रिया को लेकर अपनी नाराजगी और तर्क दे रहे हैं। इस बीच बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायवती ने भी चुनाव सुधार चर्चा के बीच अपनी पार्टी की ओर से तीन मांगे रखीं हैं। इसमें उन्होंने यूपी में एसआइआर प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाने, अपराधिक छवि के नेताओं में पार्टी के बजाय नेता को जिम्मेदार ठहराया जाए और ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग शामिल है।
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बसपा मुखिया ने आज अपने एक लम्बे सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि जैसा कि विदित है कि आज से संसद में चुनाव सुधार को लेकर चर्चा हो रही है। अतः बीएसपी की ओर से इस संबंध में ये कहना है कि चुनाव की प्रक्रिया में अन्य सुधार लाने के साथ निम्न तीन खास सुधार लाना बहुत जरूरी हैं। इसके इलावा हमारी पार्टी का यह भी सुझाव है कि ईवीएम के द्वारा उसमें लगातार उठती गड़बड़ियों की शिकायत जो चुनाव के दौरान और उसके बाद व्यक्त की जाती है उसे दूर करने के लिए और चुनाव प्रक्रिया में सभी का पूर्ण रूप से विश्वास पैदा करने के लिए अब ईवीएम के द्वारा वोट डलवाने की जगह पुनः बैलेट पेपर से ही वोट डलवाने की प्रक्रिया लागू की जाये और अगर किसी वजह से ऐसा अभी नहीं किया जा सकता है तो कम से कम वीवीपीएटी के डब्बे में जो वोट डालते समय पर्ची गिरती है उन सभी पर्चियों की गिनती सभी बूथों में करके ईवीएम के वोटों से मिलान किया जाये।
बीएलओ के ऊपर भी काफी दबाव
साथ ही कहा कि एसआइआर को लेकर जो पूरे देश में व्यवस्था चल रही है बसपा उसके विरोध में नहीं है। मगर बसपा का ये कहना है कि इस संबंध में मतदाता सूची में नाम भरने की जो भी प्रक्रिया होनी है, उसके लिए जो समय सीमा निर्धारित की गई है वो बहुत ही कम है, जिसकी वजह से बीएलओ के ऊपर भी काफी दबाव है और कई बीएलओ काम के दबाव के वजह से अपनी जान भी गवां चुके हैं। जहां करोड़ों मतदाता हैं वहां बीएलओ को उचित समय मिलना ही चाहिये और खासतौर पर उस प्रदेश में जहां जल्दी ही कोई भी चुनाव नहीं है।
संवैधानिक अधिकार से कर देगा वंचित
बसपा मुखिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 15.40 करोड़ से भी ज्यादा मतदाता हैं और अगर वहां एसआइआर का कार्य जल्दबाजी में पूरा करने की कोशिश की जायेगी तो इसका नतीजा यह होगा कि अनेकों वैध-मतदाता खासतौर पर जो गरीब हैं और काम करने के सिलसिले में बाहर गये हैं, तो फिर उनका नाम मतदाता सूची से रह जायेगा और वो बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर जी द्वारा ऐसे व्यक्तियों को दिया गया वोट डालने का संवैधानिक अधिकार से वंचित कर देगा, जो कि पूर्ण रूप से अनुचित होगा। अतः ऐसे में एसआइआर की प्रक्रिया को पूरी करने में जल्दबाजी ना करते हुए उचित समय दिया जाना चाहिये अर्थात् वर्तमान मे दी गई समय सीमा को बढ़ाना चाहिये।
राजनैतिक पार्टी की भी जिम्मेदारी होगी
वहीं मायावती ने कहा कि मा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चुनाव आयोग द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं। ऐसे लोग जिनका कोई भी आपराधिक इतिहास है उन्हें अपने हलफनामें में इसका अपने आपराधिक इतिहास का पूरा ब्योरा देना होगा और इसके साथ-साथ स्थानीय अखबारों में भी इसका पूरा विवरण भी प्रकाशित करना होगा तथा जिस राजनैतिक पार्टी से वे चुनाव लड़ रहे हैं, उस राजनैतिक पार्टी की भी जिम्मेदारी होगी कि वह इस सूचना को अपने स्तर से भी राष्ट्रीय अखबारों में भी प्रकाशित करेगी।
इस संबंध में बसपा का कहना है कि अक्सर यह पाया गया है कि जिस व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए टिकट/सिम्बल दिया जाता है उनमें से कुछ लोग अपना आपराधिक इतिहास पार्टी को नहीं बतातें हैं तथा कुछ लोगों के संबंध में स्क्रूटनी के समय ही पार्टी को इसका पता लग पाता है, जिसकी वजह से इसकी जिम्मेदारी पार्टी के ऊपर आ जाती है और वैसे भी ऐसे प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास को राष्ट्रीय अखबारों में छपवाने की जिम्मेदारी पार्टी के ऊपर डाली गयी है, जबकि इस संबंध में हमारी पार्टी का यह सुझाव है कि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर डालनी चाहिये ना कि पार्टी के ऊपर होनी चाहिये। और अगर आगे चलकर यह मालूम होता है कि किसी प्रत्याशी नेे अपना आपराधिक इतिहास छुपाया है तो इससे सम्बंधित हर प्रकार की कानूनी लायबिलिटी और जिम्मेदारी भी उसी पर आनी चाहिये ना कि पार्टी के ऊपर।
ऐसा ना करने का जो कारण इलेक्शन कमिशन द्वारा बताया जाता है, कि इसमें काफी समय लग जायेगा, जबकि इनका यह तर्क बिलकुल भी उचित नहीं है। क्योंकि अगर सिर्फ कुछ और घंटे गिनती में लग जाते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिये, जबकि वोट डालने की चुनाव प्रक्रिया महीनों चलती है। और यह इसलिए भी जरूरी है कि इससे देश की आम जनता का चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बढ़ेगा तथा इस प्रकार के जो अनेकों प्रकार के संदेह उत्पन्न होते हैं उनपर भी पूर्ण विराम लगेगा, जो देश हित में होगा।




















