आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लोकसभा उपचुनाव में सपा को गोरखपुर और फूलपुर सीट जीतने में अहम भूमिका निभाने वाली मायावती ने अपनी रणनीति में फेरबदल किया है। मायावती ने अपना पूरा फोकस अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर कर दिया है।
अपनी पार्टी के विधायक, वरिष्ठ नेता तथा को-आर्डीनेटनर के साथ बैठक में मायावती ने ये रणनीति तय की है। जिसके तहत अब बसपा प्रदेश में होने वाले उप चुनाव में किसी भी पार्टी का सहयोग नहीं करेगी।
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि कैराना संसदीय सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी सपा सहित किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं देगी। मायावती के इस फैसले के बाद इन दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अखिलेश यादव की राह भाजपा के सामने काफी कठिन हो सकती है।
दरअसल राज्यसभा चुनावों में बसपा उम्मीदवार की हार को अभी तक मायावती पचा नहीं पा रही हैं। ऊपर से उन्होंने भले यह कह दिया हो कि भाजपा की साजिश से सपा और बसपा का गठबंधन कमजोर नहीं होगा लेकिन अपने उम्मीदवार की हार को लेकर वह गंभीर हैं। मायावती कह चुकी हैं कि अखिलेश यादव ने राजनीतिक रूप से समझदारी नहीं दिखाई और अगर उनकी जगह वह होतीं तो अपने पार्टी उम्मीदवार की बजाय बसपा उम्मीदवार को जिताती।
मायावती के इस फैसले को लेकर लोगों का मानना है कि भले ही अपनी जमीन खिसकती देख मायावती ने अखिलेश यादव के साथ जाने का फैसला कर लिया है, लेकिन वह राज्यसभा में अपने इकलौते प्रत्याशी की हार पर काफी गंभीर हैं।