SC-ST में बनेगी सब कैटेगरी, सुप्रीम कोर्ट ने दी आरक्षण के अंदर आरक्षण को मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुरुवार को 2004 के फैसले को पलटते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने छह-एक के बहुमत से आदेश पारित करते हुए कहा है​ कि मूल और जरूरत मंद को लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण कोटे में भी सब कैटेगरी बनाई जा सकती है। इसका प्रभाव अब यह होने जा रहा है कि इसमें भी अब क्रीमी और नॉन क्रीमी लेयर कैटेगरी बन सकती है।

सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के इस फैसले से अब इन जातियों में समानता लाने का प्रयास होगा। इससे आरक्षण का लाभ उसी वर्ग में उसी जाति के निचले पायदान तक जाएगा। आरक्षण में आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय ने आंध्रप्रदेश के एक मामले में 2004 में फैसला देते हुए कहा था कि आरक्षण के भीतर आरक्षण देने का अधिकार राज्यों के पास नहीं है।

यह भी पढ़ें- नीतीश सरकार को HC का झटका, बिहार में आरक्षण 65 फीसदी तक बढ़ाने का आदेश किया रद्द

मालूम हो कि 1975 में पहली बार पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति के सब कैटेगरी बनाई थी। एक बाल्मीकि समाज के लिए और एक मजहबी सिख समाज के लिए। 30 साल तक यह नियम लागू रहा। 2006 में उच्च न्यायालय ने इसे रदद कर दिया। पंजाब सरकार ने 2010 में फिर कानून बनाया। फिर रदद कर दिया। 2020 में उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश मामले में कहा कि इस पर विचार होना चाहिए। इसके बाद फिर मुख्य न्यायाधीश ने सात जजों की एक बेंच बना दी।

यह भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा रूट की दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के भाजपा सरकारों के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक