बिलकिस बानो केस: जेल जाने से बचने के लिए अब हत्‍या-गैंगरेप के दोषी शादी, खेत व बीमारी का बहाना बना सुप्रीम कोर्ट से मांग रहें मोहलत

हत्‍या गैंगरेप के दोषी

आरयू वेब टीम। बिलकिस बानो केस में हत्‍या व गैंगरेप के दोषियों ने जेल नहीं जाने के लिए बहाना बनाना शुरू कर दिया है। तीन हत्‍यारे व बलात्‍कारियों ने जेल से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। तीनों ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की। गोविंदभाई, रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट ने अलग-अलग कारणों से समय बढ़ाने की अपील की है। तीनों दोषियों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

दोषियों के वकील ने कहा कि समर्पण करने का समय रविवार को समाप्त हो रहा। अदालत से गुजारिश है कि आवेदनों को जल्द सूचीबद्ध कर सुनवाई करे। जस्टिस बीवी नागरत्‍ना ने कहा कि तीन आवेदन हैं जिनमें कहा गया है कि आत्मसमर्पण करने और जेल में रिपोर्ट करने के लिए समय बढ़ाने की मांग हैं, लेकिन बेंच का पुनर्गठन होना है।

रविवार को समय समाप्त होने के कारण रजिस्ट्री पीठ के पुनर्गठन के लिए सीजेआई से आदेश मांगेगी। पीठ ने कहा कि ऐसे में अदालत कल मामले पर सुनवाई करेगी, जब सीजेआई पीठ का पुनर्गठन करेंगे। गोविंदभाई नाई ने जहां बीमारी का बहाना बनाते हुए आत्मसमर्पण का समय चार हफ्ते बढ़ाने की मांग की है।

वहीं रमेश रूपाभाई चंदना ने बेटे की शादी का हवाला देते हुए, जबकि मितेश चिमनलाल भट ने फसल की सीजन का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए छह हफ्ते दिए जाने की मांग की है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी को फैसला देते हुए बिलकिस बानो गैंगरेप और उनके परिजनों की हत्या के मामले में समय से पहले बरी किए गए 11 दोषियों को दी गई रिहाई को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने दोषियों को दो हफ्ते मे जेल मे आत्मसमर्पण करने के लिए आदेश जारी किया था।

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मालूम हो कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को इन दोषियों को सजा पूरी किए बिना ही जेल से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने मई 2022 के फैसले के बाद उनकी सजा में छूट दी थी, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा कि सजा में छूट के आवेदन पर उस राज्य की नीति के अनुरूप विचार किया जाना चाहिए जहां अपराध हुआ था न कि जहां सुनवाई हुई।

उस फैसले के अनुसार गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा करने के लिए अपनी नीति लागू की थी, हालांकि मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी। गुजरात सरकार के फैसले को बानो ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने आठ जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा उन्हें दी गई छूट को रद्द कर दिया था।

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