कुत्‍तों के काटने की बढ़ीं घटनाएं, रेबीज के खतरे पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

रेबीज
प्रतीकात्मक फोटो।

आरयू वेब टीम। देशभर के शहरों और बाहरी इलाकों में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में कुत्तों के काटने और रेबीज के फैलते खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। सुप्रीम ने मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाते हुए इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।

जस्टिस जे. पारडीवाला ने ‘सिटी हाउंडेड बाय स्ट्रेज एंड किड्स पे प्राइस’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को “बेहद चिंताजनक” करार दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सैकड़ों की संख्या में कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे रेबीज का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस गंभीर स्थिति का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है, जिनकी रेबीज से मौतें हो रही हैं। जस्टिस पारडीवाला ने इन मौतों को “डरावना और परेशान करने वाला” बताया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि इस पूरे मामले को एक स्वतः संज्ञान याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए। साथ ही, संबंधित आदेश और भीडिया रिपोर्ट को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

यह भी पढ़ें- रिटायरमेंट के बाद नहीं करूंगा कोई भी सरकारी पद स्वीकार, CJI सुप्रीम कोर्ट बीआर गवई ने किया ऐलान

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया। 15 जुलाई 2025 को जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने भी आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की जगहों को लेकर चिंता जताई थी। कोर्ट का कहना है कि जानवरों के प्रति दया और लोगों की सुरक्षा में संतुलन जरूरी है। अब उम्मीद है कि इस मामले में जल्द सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि मासूम बच्चों और बुजुर्गों की जान बच सके।

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने लगाई ED को फटकार, राजनीतिक संघर्ष नेताओं में होना चाहिए, जांच एजेंसियों के जरिए नहीं