आरयू स्पोर्ट्स डेस्क। भारतीय टेनिस की सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक, रोहन बोपन्ना ने पेशेवर टेनिस से अपने संन्यास की घोषणा की है। यह घोषणा उनके करियर की आखिरी पारी का संकेत थी, लेकिन बोपन्ना ने इसे अलविदा नहीं कहा, बल्कि उन्होंने इसे एक धन्यवाद का रूप दिया। 20 साल से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने भारत को कई ऐतिहासिक पल दिए और खुद को भारतीय टेनिस का स्थायी चेहरा बना लिया।
सोशल मीडिया पर साझा कर अपने संदेश में बोपन्ना ने कहा कि आप किसी ऐसी चीज को कैसे अलविदा कह सकते हैं जिसने आपके जीवन को अर्थ दिया हो? 20 यादगार वर्षों के बाद अब समय है कि मैं अपना रैकेट टांग दूं। कूर्ग में लकड़ी काटते हुए अपनी सर्विस को मजबूत करने से लेकर दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियमों की रोशनी में खेलने तक, यह सफर किसी सपने से कम नहीं था। भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है। जब भी मैं कोर्ट पर उतरा, मैंने तिरंगे, उस भावना और उस गर्व के लिए खेला।’
बोपन्ना ने अपने कोचों, परिवार, साथी खिलाड़ियों और प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी सफलता उन्हीं सबकी बदौलत संभव हुई। बोपन्ना ने आगे कहा कि ‘शायद मैं अब प्रतिस्पर्धा से दूर जा रहा हूं, लेकिन टेनिस के साथ मेरी कहानी खत्म नहीं हुई है। इस खेल ने मुझे सब कुछ दिया है और अब मैं इसे लौटाना चाहता हूं, ताकि छोटे शहरों से आने वाले युवा सपने देखने वाले ये विश्वास कर सकें कि उनकी शुरुआत उनके सीमाओं को तय नहीं करती। विश्वास, मेहनत और दिल से कुछ भी संभव है। मेरा आभार अनंत है और इस खूबसूरत खेल के प्रति मेरा प्यार कभी खत्म नहीं होगा। यह अलविदा नहीं है। वे अब भारत के छोटे शहरों और गांवों से आने वाले युवाओं को इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।
वहीं दो दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में बोपन्ना ने न सिर्फ कई खिताब जीते, बल्कि भारतीय टेनिस को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। रोहन बोपन्ना का करियर प्रेरणा और निरंतरता का उदाहरण रहा है। उन्होंने 20 से अधिक वर्षों तक टेनिस के शीर्ष स्तर पर खेलते हुए भारत का नाम रोशन किया। डबल्स स्पेशलिस्ट के रूप में उनकी गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में की जाती रही। उन्होंने दो ग्रैंड स्लैम खिताब जीते और कई बार भारतीय ध्वज को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऊंचा किया।
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रोहन ने संयम, खेल भावना और फिटनेस ने यह साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है। यह वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने 40 प्लस की उम्र में भी ग्रैंड स्लैम फाइनल में जगह बनाई और युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की। बोपन्ना ने 2017 में फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स का खिताब गैब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ जीता था और 2024 में मैथ्यू एबडन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था।




















