आरयू वेब टीम। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को सेंट्रल विस्टा मामले पर सुनवाई करते हुए इस परियोजना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अदालत ने यह फैसला केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका केंद्र द्वारा पुनर्विकास योजना की भूमि उपयोग में बदलाव को सूचित करने को लेकर दायर की गई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना कोई काम नहीं होने दे रहा है। इस मामले में कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी ही याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए याचिकाकर्ता याचिका में संशोधन करे।
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर नई संसद बन रही है तो विरोध क्यों? वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इस मामले में आगे बढ़ रही है। दरअसल केंद्र द्वारा विस्टा के पुनर्विकास योजना के बारे में भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपये की है।
20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी मार्च 2020 की अधिसूचना को रद्द करने के लिए अदालत से आग्रह करते हुए, याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह निर्णय अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीने के अधिकार के विस्तारित संस्करण का उल्लंघन है। इसे एक क्रूर कदम बताते हुए, सूरी का दावा है यह लोगों को अत्यधिक कीमती खुली जमीन और ग्रीन इलाके का आनंद लेने से वंचित करेगा।
यह भी पढ़ें- सोनिया गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
मालूम हो कि संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और इसके आसपास राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले हरित क्षेत्र में मौजूद सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की महत्वाकांक्षी योजना को आकार दिया जाएगा। इसके लिए आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय जमीन भी चिह्नित कर चुका है। इस योजना के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच लगभग तीन किमी क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत नई बिल्डिंग को इस तरह बनाया जाएगा कि कर्मचारी पैदल चलकर ही एक दूसरे मंत्रालय में जा सकेंगे। रेल भवन, शास्त्री भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन, वायुसेना भवन, आर्मी मुख्यालय, नीति आयोग, चुनाव आयोग और कृषि भवन आदि मंत्रालयों की बिल्डिंगों को मिलाकर एक भव्य परिसर बनाया जाएगा। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किमी के दायरे में मौजूद सेंट्रल विस्टा को पुनर्विकसित करने की मेगा योजना के तहत मोदी सरकार ने संसद भवन, एकीकृत केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के विकास या पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव मांगा।