CII के सम्‍मेलन में बोले प्रधानमंत्री मोदी, आज भारत दुनिया की पांचवीं आर्थिक ताकत, जल्‍द ही तीसरा इकोनॉमिक पावर बनेगा

आर्थिक ताकत
सम्‍मेलन को संबोधित करते नरेंद्र मोदी।

आरयू वेब टीम। भारत बहुत जल्द विकास के पथ पर दौड़ेगा। आज भारत किस ऊंचाई पर है। आज भारत आठ प्रतिशत की रफ्तार से ग्रो कर रहा। आज हम सभी डिस्कस कर रहे हैं, जर्नी टुवार्ड विकसित भारत। यह बदलाव सिर्फ सेंटिमेंट का नहीं है यह बदलाव कॉन्फिडेंस का है।” आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है और वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरे सबसे बड़े इकोनॉमिक पावर बन जाएगा।

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उक्त बातें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विज्ञान भवन में ‘विकसित भारत की यात्रा केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद का सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर कही। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ” मेरा देश कभी पीछे नहीं हट सकता। मैं सीआइआइ का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

पीएम ने कहा, “मैं जिस बिरादरी से आता हूं उस बिरादरी की पहचान बन गई है चुनाव से पहले जो बातें करते हैं चुनाव के बाद भुला देते हैं। मैं वैसा नहीं हूं। इसलिए मैं याद दिला देता हूं मैंने कहा था मेरे तीसरे टर्म में देश तीसरे नंबर की इकोनॉमी बनेगा। भारत बहुत सधे हुए कदमों से लगातार आगे बढ़ रहा है। 2014 में जब आपने हमें सेवा करने का अवसर दिया। तब सबसे बड़ा प्रश्‍न यही था इकोनॉमी को कैसे वापस पटरी पर लाएं। 2014 से पहले ही फ्रेजाइल फाइव वाली स्थिति और लाखों करोड़ों के घोटाले के बारे में यहां हर कोई पता है। इकोनॉमी की क्या स्थिति थी इसकी बारीकियां सरकार ने श्वेत पत्र जारी के बताई है। मैं उसके विस्तार में नहीं जाऊंगा।”

हम भारत को महासंकट से निकाल कर ऊंचाई पर लाए

साथ ही मोदी ने आगे कहा कि हम भारत को उस महासंकट से निकाल कर इस ऊंचाई पर लाए हैं। बजट 16 लाख से 48 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। कैपेक्स जिसे रिसोर्स इन्वेस्टमेंट कहा जाता है यूपीए सरकार के पहले बजट में कैपेक्स के लिए 90 हजार करोड़ था, इस साल सरकार चलाने के बाद 2014 में यह बजट दो लाख करोड़ रुपये था। आज कैपेक्स 11 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हमारी सरकार में कैपेक्स पांच गुना की रफ्तार से बढ़ा है।

बात बजट बढ़ाने नहीं, गुड गवर्नेंस की

बात सिर्फ बजट बढ़ाने की नहीं है बात गुड गवर्नेंस की है। पहले बजट की घोषणाएं भी जमीन पर नहीं उतार पाते थे। ये घोषणा करके हेडलाइन लेते थे पर काम नहीं होता था। योजनाओं को तय समय पर पूरा करने पर भी पहले की सरकारों का कोई जोर नहीं था। हमने दस वर्षों में इस स्थिति को बदला है।

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