दिव्यांग दिवस पर बोले CM योगी, शारीरिक बनावट नहीं करती क्षमता का निर्धारण

दिव्यांग दिवस
कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्यमंत्री।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भारत की ऋषि परंपरा ने हमेशा हमें इस बात के लिए प्रेरित किया है कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट उसकी क्षमता का निर्धारण नहीं करती है। मध्यकाल में संत सूरदास इसके उदाहरण हैं। दुनिया में भी अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां दिव्यांगजनों को थोड़ा भी संबल मिला तो उन्होंने अपने सामर्थ्य और अपनी शक्ति से समाज के लिए वह सब कुछ कर दिखाया जिस पर सामान्य जन को सहज विश्वास भी नहीं होता है। दिव्यांगजन के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, वे एक प्लेटफॉर्म के रूप में आपके लिए अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं।

ये बातें बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दिव्यांगजन सशक्तिकरण, छात्रवृत्ति वितरण, सहायक उपकरण प्रदान करने तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के सम्मान के लिए आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कही। मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। सीएम योगी ने दिव्यांगजनों को राज्य स्तरीय पुरस्कार बांटे और कहा कि आत्मबल सबसे बड़ा बल होता है। आज दिव्यांगजन में आत्मबल बढ़ा है। डबल इंजन सरकार ने दिव्यांगजनो के लिए बहुत काम किया है।

योगी ने कहा कि हर छोटा प्रयास एक नया बदलाव ला सकता है। बशर्ते हम संवेदनशील बनें, सहायक बनें और दिव्यांगजन के लिए ‘बैरियर फ्री इंडिया’ बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन ईमानदारी से करें। मानसिक दिव्यांगजन के लिए बरेली, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ में आश्रय गृह संचालित हैं। चित्रकूट और बांदा में नए केंद्र की प्रक्रिया जारी है। हमारी ऋषि परंपरा ने किसी की शारीरिक बनावट को किसी की सामर्थ्य को मापने का मानक नहीं बनाया है। हर व्यक्ति ईश्वरीय कृति है।

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इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित कर सीएम योगी ने बताया कि दिव्यांगजनों के साथ-साथ कुष्ठावस्था पेंशन की राशि को भी 2,500 से बढ़ाकर 3,000 किया गया है। कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण के लिए अनुदान राशि 10,000 से बढ़ाकर 15,000 की गई है। 11 लाख से अधिक दिव्यांगजनों को आज हम पेंशन की सुविधा का लाभ दे रहे हैं। डबल इंजन सरकार ने बहुत काम किया है। दिव्यांगजन का सशक्तिकरण हुआ है। पहले दिव्यांगजन के प्रति गलत दृष्टि थी।

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