आरयू वेब टीम। उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी करीब 50 हजार लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया है, जिसमें रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही रेलवे तथा उत्तराखंड सरकार से हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब मांगा।
याचिकाकर्ता की वकील लुबना नाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है। दरअसल जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरुआत की। अब इस मामले की सुनवाई सात फरवरी को होगी।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘‘मानवीय मुद्दा’’ है और कोई यथोचित समाधान निकालने की जरूरत है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को नियत कर दी। हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस जारी कर हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। इस पर विरोध जताते हुए हल्द्वानी के कुछ निवासियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
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निवासियों ने अपनी याचिका में दलील दी कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद विवादित आदेश पारित करने में गंभीर भूल की है कि याचिकाकर्ताओं सहित निवासियों को लेकर कुछ कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है। बनभूलपुरा में रेलवे की कथित तौर पर अतिक्रमित 29 एकड़ से अधिक जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, कारोबारी प्रतिष्ठान और आवास हैं।
वहीं रेलवे के मुताबिक, उसकी 29 एकड़ से अधिक भूमि पर 4,365 अतिक्रमण हैं। इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वो रेलवे की भूमि है और रेल विभाग का हाई कोर्ट और उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा था। हमने पहले ही कहा है कि जो भी न्यायालय का आदेश होगा हम उसके अनुरूप आगे कार्रवाई करेंगे।