आरयू वेब टीम। गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की साल 2003 में हत्या करने के आरोपों का सामना कर रहे 12 लोगों को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआइ और गुजरात सरकार की अपीलों पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने शुक्रवार को 12 आरोपितों की सजा बरकरार रखी। हाई कोर्ट से बरी किए गए 12 लोगों को दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआइ और गुजरात सरकार की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने जनवरी माह में ही इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हरेन पांड्या गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार में गृहमंत्री थे। अहमदाबाद में सुबह की सैर के दौरान लॉ गार्डन के समीप 26 मार्च 2003 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। न्यायाधीश अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें इस हत्या की कोर्ट की निगरानी में फिर से जांच कराने की मांग की गई थी। इस अपील पर कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। सीबीआइ के अनुसार, राज्य में 2002 के साम्प्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए हत्या को अंजाम दिया गया था।
बताते चलें कि इस मामले में विशेष अदालत ने 2007 में अपने फैसले में सभी 12 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जबकि 29 अगस्त 2011 को गुजरात हाई कोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। सीबीआइ ने 2012 में हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।