आरयू ब्यूरो, वाराणसी/प्रयागराज। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग का मामला भी इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर दाखिल निगरानी याचिका में अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने बताया कि शुक्रवार को हाई कोर्ट ने निगरानी याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और मस्जिद की इंतजामिया कमेटी सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।
साथ ही अगली सुनवाई के लिए 21 नवम्बर की तारीख लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लक्ष्मी देवी व अन्य की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। बकौल अधिवक्ता द्वय कोर्ट ने एएसआई से यह बताने को कहा है कि कार्बन डेटिंग कराने से शिवलिंग आकृति को कोई नुकसान तो नहीं होगा। साथ ही शिवलिंग आकृति को नुकसान पहुंचाए बिना भी इसकी कार्बन डेटिंग कराई जा सकती है या नहीं। कोर्ट ने सभी पक्षकारों से यह भी बताने को कहा है कि निगरानी कर्ताओं की मांग जायज है या नहीं। पक्षकारों को इस बिंदु पर सिर्फ अपनी राय देनी होगी।
इसके अलावा पक्षकारों को यह भी बताना होगा कि इससे किसी तरह के कानून का उल्लंघन तो नहीं होता है।निगरानी याचिका में वाराणसी जिला जज के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें भगवान विश्वेश्वर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में कॉर्बन डेटिंग के साथ शिवलिंग के वैज्ञानिक निर्धारण की मांग अस्वीकार कर दी गई थी।
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गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर से 16 मई 2022 को कमीशन की कार्यवाही के दौरान मिली शिवलिंग आकृति की उम्र, चरित्र आदि के वैज्ञानिक निर्धारण के लिए कमीशन जारी करने की मांग को लेकर अर्जी दी गई थी, जिसमें कॉर्बन डेटिंग की मांग भी शामिल है। अर्जी में जीपीआर सर्वे की भी मांग की गई थी। जिला जज ने गत 14 अक्टूबर के आदेश से उक्त अर्जी को खारिज कर दिया था। निगरानी में इसी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है।