जगदीप धनखड़ ने कहा, संसद को फ्रीबीज पर विचार करने की आवश्यकता

जगदीप धनखड़

आरयू वेब टीम। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि प्रलोभन तंत्रों पर, तुष्टीकरण पर, जिसे अक्सर फ्रीबीज के रूप में जाना जाता है, इस सदन को विचार करने की आवश्यकता है। क्योंकि देश केवल तभी प्रगति करता है जब पूंजीगत व्यय उपलब्ध हो। चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो गई है कि ये चुनावी प्रलोभन बन गए हैं और इसके बाद सत्ता में आई सरकारों को इतनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा कि वे अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहती थीं। एक राष्ट्रीय नीति की अत्यंत आवश्यकता है ताकि सरकार के सभी निवेश किसी भी रूप में एक संरचित तरीके से बड़े हित में उपयोग किए जाएं।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान अपनी टिप्पणी में धनखड़ ने कहा कि हमारे संविधान में विधायिका, सांसदों, विधायकों के लिए प्रावधान किया गया था, लेकिन एक समान तंत्र नहीं था। इसलिए, आप देखेंगे कि कई राज्यों में विधानसभाएं सदस्यों को सांसदों की तुलना में अधिक भत्ते और वेतन देती हैं। यदि एक राज्य में किसी को एक रुपया मिलता है, तो दूसरे राज्य में पेंशन दस गुना हो सकती है, इसलिए ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कानून के माध्यम से हल किया जा सकता है और इससे राजनेताओं, सरकार, कार्यपालिका को लाभ होगा और यह उच्च गुणवत्ता वाले निवेश को भी सुनिश्चित करेगा।

साथ ही कहा कि यदि कृषि क्षेत्र जैसी आवश्यकताओं के लिए सब्सिडी की जरूरत है, तो इसे सीधे प्रदान किया जाना चाहिए और यही विकसित देशों में प्रचलित है। मैंने अमेरिकी प्रणाली की जांच की। अमेरिका में हमारे देश की तुलना में 1/5वां कृषि परिवार है, लेकिन वहां औसत कृषि परिवार की आय अमेरिका के सामान्य परिवार की आय से अधिक है और इसका कारण यह है कि वहां किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी सीधी, पारदर्शी और बिना किसी बिचौलिए के दी जाती है।

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आगे कहा, मुझे संविधान सभा की बहस याद आ रही है जहां एक प्रतिष्ठित सदस्य, श्री सिधवा, संसद की न्यायाधीशों को हटाने की शक्ति पर विचार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिना बाकी तत्वों की जांच किए शक्ति प्राप्त करना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन, विश्वास कीजिए, उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि न्यायाधीशों की संख्या बढ़ेगी और हम एक भी मामले को सफलतापूर्वक निष्पादित नहीं कर पाएंगे।

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