केंद्र सरकार ने लेबर नियमों में किया बदलाव, अब एक साल की नौकरी पर भी मिलेगी ग्रेच्युटी

लेबर नियम

आरयू वेब टीम। केंद्र सरकार ने देश के श्रम कानूनों में बदलाव करते हुए ग्रेच्युटी को लेकर सबसे बड़ा सुधार किया है। पहले ग्रेच्युटी का लाभ पाने के लिए कर्मचारियों को एक ही कंपनी में कम से कम पांच साल तक काम करना अनिवार्य था, जिसकी वजह से लाखों कर्मचारी इस फायदे से वंचित रह जाते थे, लेकिन नए लेबर कोड लागू होने के बाद अब सिर्फ एक साल नौकरी करने पर भी ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। यानी नौकरी छोड़ने या बदलने की स्थिति में कर्मचारियों को अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

सरकार ने इस कोड को लागू करने का आदेश जारी कर दिया। इस कोड के लागू होने से ना सिर्फ प्राइवेट सेक्टर के स्थायी, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट और फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी लाभ होगा। केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लिए लेबल सुधारों को आगे बढ़ाया है। लेबर कानून में सुधार के लिए सरकार ने चार नए कोड लागू किए हैं, जो देश में पहले से मौजूद 29 लेबर कानूनों की जगह लेंगे। दरअसल सरकार ने सभी 29 कानूनों को मिलाकर चार नए लेबर कोड बनाए हैं, जिनमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कानून कर्मचारियों के लिए लाभ देने वाले हों, ताकि कार्यक्षेत्र में उनका शोषण ना हो, उन्हें सम्मानित वेतन मिले साथ ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी प्राप्त हो।

देश में लागू हुए चार लेबर कोड इस प्रकार हैं-

वेतन संहिता, 2019, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 ,
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, ओएसएच और कार्य शर्तें संहिता, 2020

वेतन संहिता, 2019, कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देने और समय पर वेतन देने की व्यवस्था करवाएगी, जबकि सामाजिक सुरक्षा संहिता कर्मचारियों को पीएफ, ईएसआइसी, ग्रेच्युटी और बीमा का लाभ दिलाएगी।औद्योगिक संबंध संहिता में कर्मचारियों की नियुक्ति उनकी छंटनी, सहित अन्य नियमों पर बात की गई है, चौथे कोड में काम की सुरक्षा और वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाने पर बात की गई है। कर्मचारी जहां अपने अधिकारों को आसानी से समझ पाएंगे।

झारखंड हाईकोर्ट के प्रसिद्ध अधिवक्ता निपुण बक्शी, जिन्हें लेबर और कमर्शियल कानूनों में विशेषज्ञताहासिल है, उन्होंने बताया कि नए लेबर कोड के जरिए सरकार ने कानूनों का सरलीकरण किया है। पहले देश में 29 लेबर कानून थे, जिन्हें अब चार लेबर कोड में समाहित किया गया है। इसका फायदा कर्मचारियों को तो होगा ही कंपनियों को भी होगा। उन्हें अब कंप्लायंस में दिक्कत नहीं होगी। रिटर्न फाइल करना हो या कोई और काम करना हो उन्हें आसानी होगी। छोटी कंपनियों को बंदी और छंटनी के लिए अतिरिक्त छूट दी गई है।

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वहीं कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, एक साल में ग्रेच्युटी की सुविधा सहित कई अन्य सुविधाएं भी दी गई हैं। अब गिग वर्कर यानी स्विगी-जॉमैटो डिलीवरी बॉय को इन कानूनों के दायरे में लाया गया है, अब उन्हें पीएफ, ईएसआसी और सोशल सिक्योरिटी की सुविधा भी मिलेगी। महिलाओं के लिए भी ये कानून बहुत खास है। अब महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन मिलेगा और उन्हें सहमति के साथ रात की शिफ्ट करने की भी आजादी मिल गई है।

कर्मचारियों के लिए हुआ बड़ा बदलाव

देश के हर कर्मचारी को मिलेगा न्यूनतम वेतन।

मासिक वेतन महीने की सात तारीख तक देना अनिवार्य।

साप्ताहिक वेतन, सप्ताह के आखिरी कार्यदिवस पर देना अनिवार्य।

ग्रेच्युटी का लाभ अब एक साल की नौकरी पर ही मिलेगा।

अब गिग वर्कर, स्विगी-जॉमैटो डिलीवरी बॉय, टैक्सी ड्राइवर, फ्रीलांसर, ऐप-बेस्ड वर्कर को भी मिलेगा पीएफ, ईएसआइसी और सोशल सिक्योरिटी।

महिला कर्मचारी अब हर क्षेत्र में कर सकेंगी काम, वेतन में मिलेगा समान।

सहमति के साथ महिला कर्मचारी रात की शिफ्ट में भी कर सकेंगी काम।

कर्मचारियों को सालाना फ्री हेल्थ चेक-अप की सुविधा मिलेगी।

40 साल से अधिक आयु के कर्मचारियों को साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण मुफ्त कराने की सुविधा मिलेगी।

ओवरटाइम का डबल पेमेंट किया जाएगा (सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने पर मिलेगा लाभ)।

वेतन-संरचना पुनर्गठन होगा, जिससे बेसिक + भत्ते आदि का अनुपात बदल सकता है।

जो जोखिम भरे काम करते हैं उन्हें सौ प्रतिशत हेल्थ सिक्युरिटी।

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