आरयू ब्यूमरा, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री मामले में रविवार को गोमतीनगर पुलिस ने गोमतीनगर निवासी अमित यादव व संतोष यादव को गिरफ्तार किया है। गोमतीनगर के विक्रांत खंड स्थित भूखंड की फर्जी रजिस्ट्री किए जाने के मास्टरमाइंड एलडीए के बाबू श्रीकृष्णा समेत तीन आरोपितों को पुलिस अब तलाश करने की बात कह रही है।
यह था मामला-
कुछ समय पहले एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार को शिकायत मिली थी कि हाल ही में एलडीए से सेवानिवृत्त हुए बाबू श्रीकृष्णा ने दलालों के माध्यम से गोमतीनगर के विक्रांत खंड स्थित भूखंड संख्या 2/1-बी की फर्जी रजिस्ट्री करा दी है। मामले की सचिव ने एलडीए के वकील विजय प्रताप चौहान के जरिए जांच कराई तो शिकायत सही निकली। इसके अलावा यह बात भी सामने आयी कि 15 मई 2020 को श्रीकृष्णा ने अपनी सरकारी कंप्यूटर आइडी का गलत इस्तेमाल करते हुए एलडीए के रिकॉर्ड में भी प्लॉट को फर्जी मालिक के नाम पर दर्ज कर दिया था।
पूरा मामला खुलने के बाद बीते नौ अगस्त को संपत्ति अधिकारी स्निग्धा चतुर्वेदी के निर्देश पर योजना का काम देख रहे बाबू विवके कुमार सिंह की तहरीर पर श्रीकृष्णा समेत विश्वास खंड जुगौली निवासी शरत चंद्र मिश्र व चौके इलाके के अनुज कुमार सिंह के खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में आइपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
गोमतीनगर इंस्पेक्टर केके तिवारी ने बताया कि पुलिस की जांच में सामने आया है कि फर्जी रजिस्ट्री में गवाह के रुप में विकास खंड चार निवासी अमित यादव व विवेक खंड दो के संतोष कुमार यादव का नाम दर्ज है। आज पुलिस ने दोनों को गोमतीनगर रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया है।
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पूछताछ में अमित व संतोष ने पुलिस को बताया है कि उन्होंने पैसे लेकर गवाह के रुप में अपना नाम दिया था। इंस्पेक्टर के अनुसार जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस पूरे मामले का असली मास्टरमाइंड अवकाश प्राप्त बाबू श्रीकृष्णा ही है जो लोगों को सस्ते दामों पर प्लॉट बेचने की लालच देने के बाद कूटरचित दस्तावेजों व अपने गैंग के जरिए प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री करा देता है। पुलिस अब मुकदमें में नामजद श्रीकृष्णा के अलावा शरत चंद्र मिश्र व अनुज कुमार सिंह की तलाश में छापेमारी कर रही है। इनकी गिरफ्तारी के बात स्पष्ट होगा कि अब तक एलडीए के कुल कितने प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कर धोखाधड़ी की गयी है।
नटवरलाल बाबू को कौन कर रहा बचाने की कोशिश
वहीं एलडीए के योजना सहायक विवेक कुमार की ओर से दर्ज कराई गयी इस एफआइआर में झोल भी नजर आ रहा। तीन नामजदों में से जहां एलडीए ने शरत चंद्र व अनुज सिंह के पते का तहरीर में जिक्र किया है। वहीं लविप्रा को करोड़ों की चपत लगाने वाले बाबू श्रीकृष्ण का आवास का पता ही एलडीए ने जानकारी नहीं होने की बात कही है, जबकि एलडीए ने यह संदिग्ध हरकत तब की है जब श्रीकृष्णा दशकों अपनी सेवाएं देने के बाद कुछ महीना पहले ही लविप्रा से रिटायर हुआ है।
एलडीए की ओर से लिखाई गयी एफआईआर के बाद सवाल उठ रहा है कि करोड़ों का घोटाला करने वाले नटवरलाल बाबू के हमदर्द अब भी एलडीए की कुर्सी पर कही न कही जमे हैं। एक ओर जहां इस मामले में बोलने से एलडीए के अफसर फिलहाल कतरा रहें, वहीं इंस्पेक्टर गोमतीनगर का कहना है कि भले ही एलडीए ने पता न बताया हो, लेकिन जल्द ही आरोपित बाबू को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।