आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से सपा के जीते सांसद रामभुआल निषाद के चुनाव को चुनौती देने वाली मेनका गांधी की याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि याचिका देरी से दाखिल की गई, जो संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत बाधित है, ऐसे में याचिका खारिज की जाती है। हाई कोर्ट ने बीते पांच अगस्त को याचिका की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था।
न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ के समक्ष मेनका गांधी द्वारा दाखिल याचिका पर याची की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें पेश की थीं। भाजपा नेता मेनका संजय गांधी ने बीती 27 जुलाई को चुनाव याचिका दाखिल की थी। याचिका में सपा सांसद के खिलाफ कथित रूप से चुनाव में भ्रष्ट आचरण करने के आरोप लगाकर सांसद के चुनाव को शून्य घोषित करने का आग्रह किया गया था।
वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याची के अधिवक्ता से पूछा था कि याचिका सात दिन की देरी से क्यों दाखिल की गई। इसपर, याची के वरिष्ठ अधिवक्ता लूथरा ने कई नजीरों का हवाला देकर याचिका को सुनवाई को ग्रहण करने योग्य कहा था। सांसद का चुनाव हारने वाली याची मेनका का मुख्य आरोप था कि सांसद रामभुआल निषाद के खिलाफ कुल 12 अपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि उन्होंने चुनाव की प्रक्रिया की शुरुआत में फार्म 26 भरते हुए सिर्फ आठ अपराधिक मामलों का खुलासा किया।
यह भी पढ़ें- लखनऊ हाई कोर्ट ने निरस्त किया गुंडा एक्ट के तहत पारित आदेश, कहा एक मामले से कोई नहीं माना जा सकता आदतन अपराधी
याची का ये भी आरोप था कि ऐसे में सभी आपराधिक केसों का खुलासा न करना भ्रष्ट आचरण है। जो, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा सौ के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। याची ने चुनाव याचिका में आग्रह किया था कि सिर्फ इसी आधार पर 38 – सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र का चुनाव शून्य करने योग्य है।
वहीं हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि याचिका चुनाव खत्म होने के बाद अधिनियम की धारा 81 में निर्धारित 45 दिन के बाद दाखिल की गई। धारा 86 में प्रावधान है कि धारा 81 में दी गई 45 दिन की सीमा का पालन न करने वाली चुनाव याचिका को अदालत खारिज कर देगा। ऐसे में ये याचिका निर्धारित समय सीमा के बाद दाखिल होने से खारिज करने योग्य है। तदनुसार, इसे खारिज किया जाता है।