आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने बयानों से विवादों में घिरे रहने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य बुधवार को एक और बयान देकर सुर्खियों मे आ गए हैं। स्वामी प्रसाद ने सिलेबस में रामायण और महाभारत को शामिल करने का न सिर्फ विरोध जताया बल्कि, जातीय भेदभाव और पारिवारिक विघटन पैदा करने का आरोप लगाया। सपा नेता ने सवाल किया कि, क्या एनसीईआरटी व सरकार रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है? अब फिर से शम्बूक का सिर व एकलव्य का अंगूठा न काटा जाए।
पूर्व में हुई घटनाओं का जिक्र कर स्वामी प्रसाद ने आज एक्स पर पोस्ट कर कहा, यद्यपि कि आज वैसे ही बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा व महिला उत्पीड़न की घटनायें हो रही हैं। कहीं दलित, आदिवासी पिछड़े समाज के लोगों पर पेशाब करना व मल-मूत्र का लेपन करना, समय से फीस न जमा करने पर बच्चों की पिटाई कर मौत की नींद सुला देना, कहीं महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार की घटना के बाद हत्या कर लाश को टुकड़े-टुकड़े कर देना, कालेज व विश्वविद्यालय परिसर में भी यदा-कदा छात्रायें अपमानित होने के फलस्वरूप आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने की घटनायें प्रकाश में आती रहती है।
सपा नेता ने सवाल किया कि क्या एनसीईआरटी व सरकार, रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर सीता, शूर्पणखा व द्रोपदी जैसी महान देवियों को क्रमशः अग्नि परीक्षा के बाद भी परित्याग, वैवाहिक प्रस्ताव पर नाक-कान काटने की त्रासदी व द्रोपदी जैसी अन्य तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है? एक ने भाई को भाई से लड़ाने का काम तो दूसरे ने भाईयों-भाईयों को आपस में लड़ाया। क्या सरकार पारिवारिक विद्यटन को और भी बढ़ावा देने की पक्षधर है?
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स्वामी प्रसाद ने आगे कहा की यदि रही बात पाठ्यकम में देश के हीरो को पढ़ाने की, तो वर्तमान राष्ट्र के उन महान वीर सपूतों, राष्ट्रनिर्माताओं और नायकों को एनसीईआरटी पाठयक्रम में लाये जैसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोष, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, वीरांगना ऊदा देवी को छात्रों को पढ़ाना चाहिए।
साथ ही चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, वीर ऊद्यम सिंह जैसे आदि महानायकों को शामिल किया जा सकता है। अब फिर से शम्बूक का सिर व एकलव्य का अंगूठा न काटा जाय इस बात को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है।