आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने देशवासियों को एक बार फिर से दशहरे की बधाई देते हुए कहा है कि दशहरा संकटों पर जीत का भी पर्व है। दशहरा असत्य पर सत्य की जीत का पर्व तो है ही, ये त्योहार संकटों पर जीत का भी उत्सव है। साथ ही प्रधानमंत्री ने इस कोरोना संकट के बीच आगामी त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए लोगों को संयम बरतने की सलाह दी है।
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा कि अभी त्योहार का मौसम आने वाला है। इस दौरान लोग खरीदारी करेंगे, आप खरीदारी के दौरान वोकल फॉर का संदेश जरूर याद रखें और स्थानीय और स्वदेशी सामानों को खरीदें। इस दौरान मोदी ने देश के सैनिकों को विजयादशमी का शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस बार दिवाली में एक दीया सीमा पर तैनात सैनिक के नाम जलाएं।
पीएम मोदी ने कहा, “हमें अपने उन जांबाज सैनिकों को भी याद रखना है, जो, इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं, भारत माता की सेवा और सुरक्षा कर रहे हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने है, हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है। मैं अपने वीर जवानों से भी कहना चाहता हूं कि आप भले ही सीमा पर हैं, लेकिन पूरा देश आपके साथ है, आपके लिए कामना कर रहा है, मैं उन परिवारों के त्याग को भी नमन करता हूं, जिनके बेटे बेटियां आज सरहद पर है।”
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इस दौरान पीएम मोदी ने खादी का जिक्र करते हुए कहा कि खादी हमारी सादगी की पहचान रही है, लेकिन हमारी खादी आज इको फ्रेंडली फैब्रिक के रूप में जानी जा रही है ये बॉडी फ्रेंडली फैब्रिक भी है। मेक्सिको के शहर ओहाका का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि वहां की खादी ओहाका खादी के नाम से प्रसिद्ध है। ओहाका का एक युवक मार्क ब्राउन गांधी जी से इतना प्रभावित हुआ कि वे मेक्सिको में जाकर खादी का काम शुरू करने लगे।
इसके अलावा पीएम ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान तकनीक आधारित कई प्रयोग हमारे देश में हुए। झारखंड में छोटे स्तर पर महिलाओं ने फार्म फ्रेश नाम का एक एप बनाया जिसके जरिए लोग ताजा सब्जी घर तक मंगा सकते थे। मोदी ने लोगों से अपील की कि वे ऐसे ही प्रयोग करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का पुलवामा पूरे देश को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी पूरे देश की करीब करीब 90 फीसदी पेंसिल स्लेट की मांग की पूरा करता है और इसमें पुलवामा की हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि एक समय में देश को पेंसिल की लकड़ी विदेशों से मंगानी पड़ती थी, लेकिन पुलवामा हमें इस मामले में आत्मनिर्भर बना रहा है।