आरयू वेब टीम।
तेलंगाना के सामाजिक कल्याण आवासीय महिला कॉलेजो में प्रवेश पाना है, तो आपका कुंवारी होना जरुरी है। ऐसा हम नहीं कह रहे यह अनोखा फरमान तेलंगाना सरकार ने जारी किया है। जिसके तहत कॉलेजों में केवल कुंवारी लड़कियों को ही एडमिशन मिल सकता है।
तेलंगाना सारकार ने ऐसे विचित्र नियम के पीछे यह दलील दी है कि शादीशुदा युवतियों के कॉलेजों में होने से कुंवारी लड़कियों का ध्यान भटक सकता है। वहीं तेलंगाना सामाजिक कल्याण आवासीय शिक्षण संस्थान सोसाइटी के अधिकारी बी वेंकट राजू का तर्क है कि जब शादीशुदा युवतियों के पति सप्ताह में या 15 दिन में एक बार उनसे मिलने की संभावना रहती है।
जिसे देखकर कुंवारी लड़कियों का मन भटक सकता है, और उनका ध्यान पढ़ाई से हट सकता है। ऐसी स्थिति में लड़किया केवल अपनी पढ़ाई पर ही फोकस करें इसके लिए ऐसे नियम लागू करने का मकसद है। हम स्टूडेंट्स में किसी भी प्रकार का भटकाव नहीं चाहते हैं।
सोसायटी ने साल 2017-18 के लिए नामांकन संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया है। उसमें कहा गया है कि बीए, बीकॉम और बीएससी में प्रथम वर्ष के लिए (अविवाहित) लड़कियों के लिए आवेदन आमंत्रित किया जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार सोसायटी के सचिव डॉ आर एस प्रवीण कुमार का कहना है कि इन कॉलेजों की स्थापना का उद्देश्य ही बाल विवाह जैसी प्रथा के कुचक्र को तोड़ना है। वे लोग शादीशुदा युवतियों को हतोत्साहित नहीं करते हैं लेकिन कोई एडमिशन के लिए आवेदन करता है तो वे नहीं रोकेंगे। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की उनकी मंशा नहीं है।
मालूम हो कि यह नियम पिछले एक साल से कॉलेजों में लागू है। राज्य में कुल 23 ऐसे आवासीय कॉलेज हैं, हर कॉलेज में प्रतिवर्ष 280 स्टूडेंट्स का नामांकन होता है। कॉलेजों में सभी शिक्षा से लेकर भोजन तक मुफ्त दिया जाता है। इन कॉलेजों में 75 फीसदी सीट एससी के लिए 25 फीसदी एसटी और सामान्य के उपलब्ध होती है।