आरयू ब्यूरो, लखनऊ। ग्वालियर हाई कोर्ट में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर कई दिनों से चल रहे विवाद पर आज बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। बसपा सुप्रीमो ने कहा है कि बाबा साहब के विरोधियों को समझना होगा कि सदियों से उपेक्षित बहुजन समाज अब अपना सम्मान पाना चाहता है। साथ ही बसपा मुखिया ने कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की वकालत करने के साथ ही मध्य प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है, कि ग्वालियर हाई कोर्ट में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाई जाए।
मायावती ने आज अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से पोस्ट कर कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खंडपीठ ग्वालियर में अधिवक्ताओं की मांग व उन्हीं के आर्थिक सहयोग से परमपूज्य बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने की अनुमति माननीय कोर्ट द्वारा दी गई तथा कोर्ट के निर्देशन में ही स्थान का चयन एवं चबूतरा बनाया गया व मूर्ति भी बनकर तैयार हुई।
मगर कुछ जातिवादी सोच से ग्रसित अधिवक्ताओं द्वारा मूर्ति स्थापना का विरोध किया जा रहा है। जबकि सोशल मीडिया पर भड़काऊ वक्तव्यों के बावजूद इन पर कार्रवाई नहीं की गई। बाबा साहब के विरोधियों को यह समझना होगा कि सदियों से उपेक्षित बहुजन समाज अब अपना सम्मान पाना चाहता है।
वहीं अपने एक अन्य पोस्ट में मायावती ने कहा कि मध्य प्रदेश के माननीय राज्यपाल, माननीय उच्च न्यायालय तथा मा. मुख्यमंत्री भी मूर्ति लगाने में आ रही बाधाओं को दूर करके, तत्काल उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में संविधान निर्माता, भारतरत्न बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को सम्मानपूर्वक स्थापित कराएं ये अनुरोध।
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बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पिछले काफी दिनों से संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद चल रहा है। अधिवक्ताओं के दो ग्रुपों के बीच मूर्ति लगाने को लेकर विवाद है। एक पक्ष मूर्ति लगाने की बात कह रहा है।
वहीं, दूसरा पक्ष इसके विरोध में है। हाई कोर्ट की सात सदस्यीय खंडपीठ ने परिसर में मूर्ति स्थापना की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। आरोप है कि, 14 मई को अनुमति दी गई थी, लेकिन विरोध के बाद फैसले पर रोक लगाई गई। दूसरे पक्ष का दावा है कि, किसी तरह के कोई आदेश नहीं दिए गए थे।