आरयू वेब टीम। यूपी के अमरोहा जनपद के बावनखेड़ी नरसंहार की दोषी शबनम की फांसी एक बार फिर से टल गयी है। अमरोहा में जनपद न्यायालय ने अभियोजन से शबनम की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन शबनम के वकील की ओर से राज्यपाल को दया याचिका दाखिल कर दी गई। इसी वजह से शबनम की फांसी को एक बार फिर से टाल दिया गया।
शबनम की फांसी को लेकर मंगलवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। पहले ही माना जा रहा था कि जिला जज की अदालत में शबनम की रिपोर्ट सौंपी जाएगी और अगर इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई गई तो शबनम की फांसी की तारीख तय की जा सकती है। शबनम के वकील ने कुछ दिन पहले ही फिर से दया याचिका के लिए राज्यपाल से गुहार लगाते हुए जिला जेल रामपुर प्रशासन को प्रार्थनापत्र सौंपा था। आज सुनवाई में इसी का जिक्र आया। इसके कारण फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो सकी।
मालूम हो फांसी की तारीख तय होने के बाद डेथ वारंट जारी किया जाएगा। प्रक्रिया के अनुसार डेथ वारंट जारी होने के दस दिनों के अंदर उसको फांसी दे दी जाएगी। कुछ दिनों पहले शबनम ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी। जेल में 12 साल के बेटे से मिलने के बाद शबनम खूब रोई थी और खुद को निर्दोष बताया था। शबनम ने बेटे ताज से कहा कि वह उसकी परछाई से भी दूर रहे और पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बने।
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दूसरी ओर मां से मिलने के बाद बेटे ताज ने राष्ट्रपति से गुहार लगाया है कि वो फांसी के फैसले को वापस ले लें और उसकी मां की गलती को माफ कर दें। इधर ताज के केयर-टेकर उस्मान ने बताया था कि उसने शबनम से उस घटना के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि वो निर्दोष है और उसे फंसाया गया है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि 14-15 अप्रैल 2008 को रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों को फांसी की सजा थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 में दोनों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी थी। उसके बाद राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया, हालांकि उसके कथित प्रेमी सलीम की दया याचिका अब भी राष्ट्रपति के पास लंबित है। सलीम इस समय नैनी जेल में बंद है।