आरयू वेब टीम। कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं रहता, किसी एक भू-भाग तक सीमित नहीं रहता। प्रो. एम एस स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि डॉ. स्वामीनाथन को हमारी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों ही इशारों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को जवाब देते हुए कहा कि भारत के लिए किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के हितों के खिलाफ कभी भी समझौता नहीं करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पता है कि मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी, लेकिन भारत इसके लिए तैयार हैं।
किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाने के लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं.हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है, इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनी, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था।
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इस दौरान मोदी ने कहा कि प्रोफेसर स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई वर्षों पुराना था। गुजरात की पहले की स्थितियां बहुत लोगों को पता है। पहले वहां सूखे और चक्रवात की वजह कृषि पर काफी सकंट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा था। जब मैं मुख्यमंत्री था उसी दौरान हमने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना पर काम शुरू किया। प्रोफेसर स्वामीनाथन ने उसमें बहुत ज्यादा दिलचस्पी दिखाया, उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया, हमारा मार्गदर्शन किया। उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता भी मिली।
पीएम मोदी ने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया, लेकिन उनकी पहचान हरित क्रांति से भी आगे बढ़कर थी। वो खेती में केमिकल के बढ़ते प्रयोग और मोनो कल्चर फार्मिंग के खतरों से किसानों को लगातार जागरूक करते रहे।