आरयू वेब टीम। बिहार चुनाव में करारी हार के बाद जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर पहली बार मीडिया के सामने आए। नतीजों से निराश पीके ने आज हार की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ले ली। साथ ही कहा कि वे बिहार नहीं छोड़ने वाले हैं, बल्कि गांव-गांव जाकर जनता को जागरूक करने का अभियान जारी रखेंगे। साथ ही चुनावी असफलता के प्रायश्चित में 20 नवंबर को गांधी आश्रम में सामूहिक मौन उपवास भी करेंगे।
प्रशांत किशोर ने आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि साढ़े तीन साल पहले वह ‘व्यवस्था परिवर्तन’ के संकल्प के साथ निकले थे, लेकिन न तो व्यवस्था बदल सकी और न ही सत्ता परिवर्तन। उन्होंने स्वीकार किया कि जनता ने उन पर भरोसा नहीं दिखाया, इसका मतलब है कि कहीं न कहीं उनसे और उनकी टीम से गंभीर गलती हुई है।
इस दौरान प्रशांत किशोर ने एनडीए सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव से पहले 40 हजार करोड़ की योजनाएं लाई गईं। स्वरोजगार योजना के तहत डेढ़ करोड़ महिलाओं को दस-दस हजार रुपये भेजे गए, और दो-दो लाख रुपये देने का वादा भी किया गया था।
पीके ने साफ कहा कि अगर नीतीश कुमार और भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार छह महीने के भीतर वादे के अनुसार महिलाओं को दो-दो लाख रुपये दे देती है, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। अगर सरकार ऐसा नहीं कर पाती, तो साफ हो जाएगा कि महिलाओं को सिर्फ वोट खरीदने के लिए पैसे दिए गए थे।
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वहीं पीके ने ये भी दोहराया कि फिलहाल राजनीति छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है। उनका कहना है कि बिहार की जनता के साथ किए वादे अधूरे हैं, और वे इसे पूरा करने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे, लेकिन साथ ही सरकार को यह चुनौती भी दे दी कि वादे पूरे हो जाएं तो वह खुद राजनीतिक जीवन से पीछे हट जाएंगे।




















