आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव से नाराज बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार को शक्तिभवन का घेराव कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बिजली कर्मचारियों ने हाथों में “खुद का लाभ कमाने को बेच रहे बेईमानों को”, “सरकारी संपत्तियों को बेचना बंद करो” की तख्तियां ले रखी थी। साथ ही कर्मचारी एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थींं।
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण गलत तरीके से किया जा रहा है। निजीकरण करने से पहले कर्मचारियों की सहमति नहीं ली गई। इस दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि हाई कोर्ट के पांच दिसंबर 2024 के फैसले के बावजूद पावर कारपोरेशन प्रंबंध और सरकार ने अभी तक संयुक्त संघर्ष समिति के साथ निजीकरण जैसे गंभीर मामले पर एक बार भी बातचीत की कोशिश नहीं की है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन हाई कोर्ट न्यायालय के फैसले का सम्मान नहीं कर रहा है।
संघर्ष समिति का कहना है कि निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने के पहले सरकार को दूसरे प्रांतों के साथ उत्तर प्रदेश के आगरा और ग्रेटर नोएडा में हुए निजीकरण के प्रयोगों में दिखने वाली विफलताओं पर संघर्ष समिति से वार्ता करनी चाहिए।
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गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को भी निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने काली पट्टी बांध कर नाराजगी जाहिर की थी। जिसके बाद आज सुबह सैंकड़ों की संख्या में शक्ति भवन पहुंचे कर्मियों ने निजीकरण के विरोध के साथ साथ यूपी पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा कंसल्टेंट चयन के लिए किए जाने वाले प्री बिडिंग कांन्फ्रेंस का भी विरोध किया।