आरयू वेब टीम। कुतुब मीनार पर मालिकाना हक मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट अब 17 सितंबर को फैसला सुनाएगी। कुतुब मिनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कुंवर महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील एमएल शर्मा की दलीले सुनीं। इसके बाद जज ने कहा कि अब कुतुब मिनार की जमीन पर मिल्कियत का दावा करने वाले याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर 17 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।
कोर्ट ने मालिकाना हक को लेकर कहा कि कुछ लोग वहां पूजा के अधिकार की मांग कर रहे हैं। आपके पास ना अभी कब्जा है और ना ही आप कभी कोर्ट आए हैं। इस पर वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने 1947 में बिना हमारी परमिशन के पूरी प्रॉपर्टी अपने कब्जे में ले ली थी।
इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में 1960 में याचिका दाखिल की थी, वो अभी लंबित है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी इस मामले में पत्र लिखा है। वकील शर्मा ने दलील दी कि अगल-अलग राज्यों में ये संपत्ति सरकार के कब्जे में है, हम सभी राज्यों व वहां की अदालतों में नहीं जा सकते। इसलिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था।
कोर्ट ने पूछा कि आप राष्ट्रपति के पास जाने के बजाए सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर शर्मा ने कहा कि हम पूजा का अधिकार नहीं मांग रहे हैं, हम तो बस पार्टी बनना चाहते हैं। वहीं, पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 1947 में शायद यह तीन साल के रहे होंगे, लेकिन 18 साल का होने के बाद भी कोर्ट में कुतुबमीनार पर अपने अधिकार की मांग नहीं की। यहां पर इस तरह से याचिका दाखिल नहीं कर सकते हैं।
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वकील अमिता सचदेवा ने लाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका के फैसले का भी जिक्र किया। जिसमें महिला ने बहादुरशाह जफर के खानदान से होने का दावा किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका को भारी जुर्माना के साथ खारिज किया जाएं।
एएसआइ के वकील ने महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुलतान बेगम ने लाल किले पर मालिकाना हक का दावा किया था, उस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसी तरह कुतुबमीनार पर मालिकाना हक का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका भी खारिज की जाएं।