भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज कल्याण विभाग की बड़ी कार्रवाई, चार अफसरों को किया बर्खास्त, करेगा करोड़ों की वसूली

समाज कल्याण विभाग

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। समाज कल्याण विभाग ने चार अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इसी के साथ तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए, उनकी पेंशन में कटौती करने का फैसला लिया है। ये कार्रवाई श्रावस्ती, मथुरा, शाहजहांपुर और औरैया जनपदों में हुए घोटालों पर की गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ मामले डेढ़ दशक से लंबित थे। अब इन आरोपित अधिकारियों से सरकारी धन की वसूली भी होगी। दरअसल मामले की जांच समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में हुई थी। विभाग की तरफ से सभी मामलों में एफआइआर दर्ज करने के भी निर्देश दे दिए गए हैं।

इन अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई

विभाग की तरफ से श्रावस्ती में तैनात अधिकारी मीना श्रीवास्तव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। मीना को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इनके खिलाफ मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना और छात्र वृत्ति में अनियमितता के आरोप लगे हैं। इसी के साथ खातों में हेरफेर और धनराशि के दुरुपयोग के भी आरोप लगे हैं। जांच के दौरान आरोप सही पाए गए हैं। इसके बाद ये एक्शन लिया गया है।

साथ ही मथुरा में तैनात करुणेश त्रिपाठी को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इनके खिलाफ प्राइवेट आईटीआई संस्थानों को अनियमित भुगतान, 11 अमान्य संस्थानों को 2.53 करोड़ का भुगतान, फर्जी छात्रों से जुड़ी गड़बड़ियां के आरोप जांच के दौरान सही पाए गए हैं। विभाग की तरफ से 19.25 करोड़ की वसूली भी की जाएगी।

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वहीं हापुड़ में तैनात संजय कुमार ब्यास को भी बर्खास्त कर दिया है। इसी के साथ 3.23 करोड़ की वसूली के भी आदेश दे दिए गए हैं। इनके खिलाफ छात्रवृत्ति की धनराशि सीधे संस्थानों को ट्रांसफर कर गबन करने और वेबसाइट पर डेटा में कूटरचना कर अनियमितता करने के आरोप लगे थे, जो जांच के दौरान सही पाए गए थे।

जबकि शाहजहांपुर में तैनात राजेश कुमार को भी बर्खास्त कर दिया गया है। इनके खिलाफ वृद्धावस्था पेंशन योजना में खातों की अदला-बदली कर अपात्रों को लाभ दिए जाने के आरोप लगे थे, जो सही पाए गए हैं। विभाग की तरफ से  2.52 करोड़ की वसूली भी की जाएगी।

इस दौरान औरैया में तैनात रहे सेवानिवृत्त अधिकारी श्रीभगवान के खिलाफ भी एक्शन लिया गया है। इन्हें पेंशनरों के खातों में गड़बड़ी का दोषी पाया गया है। इनसे 20 लाख की वसूली की जाएगी और पेंशन से दस प्रतिशत स्थायी कटौती भी की जाएगी। साथ ही मथुरा के सेवानिवृत्त अधिकारी विनोद शंकर तिवारी को भी छात्रवृत्ति घोटाले का दोषी पाया गया है। इनसे 1.96 करोड़ की वसूली की जाएगी और पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती भी की जाएगी।

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इसके अलावा मथुरा में तैनात रहे उमा शंकर शर्मा की पेंशन से 50 प्रतिशत की कटौती की जाएगी और 88.94 लाख रुपये की वसूली की जाएगी। ये 11 अमान्य संस्थानों को अनियमित भुगतान और  5526 अतिरिक्त छात्रों को फर्जी भुगतान के मामले में दोषी पाए गए हैं।