आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की केंद्रीय कोर कमेटी की रविवार को बैठक हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। निजीकरण किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। निजीकरण से जहां पूर्वांचल व दक्षिणांचल में आरक्षण के लगभग 16000 पद समाप्त होंगे, वहीं संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात होगा।
पावर ऑफिसर एसोसिएशन की केंद्रीय कोर समिति ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बिजली कार्मिकों को हड़ताल पर जाने की स्थिति में सीधे बर्खास्त किए जाने के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में अभी तक किसी भी संगठन ने हड़ताल का नोटिस नहीं दिया।
इसके बावजूद उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन ने भारत के संविधान का उल्लंघन किया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी सरकारी कार्मिक को बर्खास्त किए जाने के पहले उसे पूरा अवसर दिया जाएगा और उसे उसका कारण बताया जाएगा। ऐसे में यूपी पावर काॅरपोरेशन के निदेशक मंडल की तरफ से भारत के संविधान का अपमान किया गया है, इसलिए पावर काॅरपोरेशन का निदेशक मंडल तत्काल माफी मांगे।
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संगठन सचिव बिंद्रा प्रसाद ने कहा कि संविधान के किसी भी अनुच्छेद का पावर काॅरपोरेशन के निदेशक मंडल को उल्लंघन करने का कोई भी अधिकार नहीं है। ये बहुत गंभीर मामला है। पहली बार 1959 से गठित राज्य विद्युत परिषद वर्तमान यूपी पावर कॉरपोरेशन ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल कठोर कदम उठाना चाहिए।संविधान निर्माता की बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था का अपमान पूरे प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इस दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार शामिल हुए।