आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने अनोखे कारनामों के लिए चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण में आज एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एलडीए ट्रांसपोर्ट नगर के अपने जिस प्लॉट को कल करोड़ों रुपए में नीलाम करने जा रहा, उस पर पहले से ही बिल्डिंग बनकर खड़ी है।
खास बात यह भी है कि यह वही प्लॉट है जिसकी न सिर्फ जालसाजों ने फर्जी रजिस्ट्री कराई थीं, बल्कि ट्रांसपोर्टर की शिकायतों के बाद एलडीए ने इस मामले में मुकदमा भी दर्ज कराया था, लेकिन एफआइआर के बाद जालसाजों के प्रति अफसर ऐसा मेहरबान हुए कि न केवल अपने ही विभाग के प्लॉट का कब्जा लेना भूल गए, बल्कि अवैध गोदाम को संचालित होने में भी कहीं न कहीं योग्दान देते रहें।
दूसरी ओर प्लॉट बिकने से पहले ही बिल्डिंग खड़ी होने से पूरी नीलामी प्रक्रिया भी संदेह के घेरे में आ गयी है। ट्रांसपोर्टरों को यह भी अंदेशा है कि अधिकारी-कर्मियों के पास ऐसा तरीका जरूर होगा जिससे वह करोड़ों रुपए खर्च कर बिल्डिंग बनाने वाले को ही अब यह प्लॉट बेच देंगे। इस बारे में ट्रांसपोर्टरों ने एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार से भी शिकायत कर मामले की गंभीरता से पूरी जांच कराने की भी मांग करने की बात कही है।
इन हालात के बीच अगर आप भी एलडीए से कोई प्लॉट खरीद रहें हैं तो सोच-समझकर कदम बढ़ाएं नहीं तो लापरवाह या भ्रष्ट अफसर-कर्मियों के जाल में फंसकर एलडीए से लेकर अदालतों तक के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
यह है मामला-
बताते चलें कि एलडीए शनिवार को अपनी अन्य संपत्तियों के साथ ही ट्रांसपोर्ट नगर के भी चार भूखंड नीलाम करने जा रहा। इसकी जानकारी पर ट्रांसपोर्टर नीलामी में लगे करीब तीन सौ वर्गमीटर के प्लॉट (नंबर जी-62) देखने पहुंचे तो वहां न सिर्फ पहले से तीन मंजिला बिल्डिंग खड़ी मिली, बल्कि उसमें धड़ल्ले से गोदाम भी संचालित हो रहा था। शुरूआत में तो लोगों को लगा कि किसी गलत प्लॉट को देख रहें, लेकिन फिर से जांच करने पर नीलामी के लिए निकाला गया भूखंड होने की पुष्टि होने पर उन्होंने अपना माथा पीट लिया।
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किसका है गोदाम, अफसर से लेकर इंजीनियर तक अंजान!
मामला खुलने के बाद अब कोई बताने को तैयार नहीं है कि आखिर फर्जी रजिस्ट्री व एफआइआर के चलते प्राधिकरण के बहुचर्चित प्लॉट पर भी आखिर कैसे और किसका गोदाम संचालित हो रहा। लंबे समय से एलडीए की कॉमर्शियल प्रापर्टी की नीलामी कराने वाले अधिशासी अभियंता मनोज सागर की मानें तो संपत्ति या अभियंत्रण जोन से रिपोर्ट आने पर ही वह प्लॉट को नीलामी के लिए निकालते हैं। उन्हें नहीं पता कि एलडीए के प्लॉट पर किसने गोदाम बना लिया है। वहीं कॉमर्शियल संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया से लेकर आगे की कार्यवाही में भी अहम भूमिका निभाने वाले अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा भी इस मामले में कुछ नहीं बता पाएं।
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दूसरी ओर एलडीए सचिव विवेक श्रीवास्तव ने मामले को गंभीर मानते हुए इसकी जांच कराने की बात कही है। सचिव ने कहा कि प्रकरण की जांच कराकर जो भी इसके लिए दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नौ प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों पर हुई थीं एफआइआर
ट्रांसपोर्ट नगर में नौ भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आने पर तत्कालीन वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने एलडीए कर्मियों समेत दर्जनों जालसाजों के खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में पिछले साल तीन मई को एफआइर कराई थीं। प्लॉट (नंबर जी-62) के मामले में योजना के बाबू अमित कुमार की तहरीर पर फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री में शामिल विजय कुमार, ऋषि अरोड़ा, ऐनुल आब्दीन, संजीव सेठी व कृष्ण के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इससे पहले भी चार प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री होने पर मुकदमा कराया गया था।
कई अफसरों ने किया दावा, लेकिन बीच में ही…
कहा जाता है कि ट्रांसपोर्ट नगर के सैकड़ों भूखंडों में खेल करते हुए एलडीए के भ्रष्ट अफसर-बाबू व फर्जी रजिर्स्टी गैंग के पूरे सिंडिकेट ने प्राधिकरण को अरबों रुपये की चोट पहुंचाई है। एलडीए के कई अधिकारियों ने पूरी योजना की जांच कराने की बात कही, लेकिन आज तक पूरी जांच कराने में कोई भी अधिकारी खरा नहीं उतर सका है। ट्रांसपोर्टरों को अब ईमानदारी छवि के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से निष्पक्ष जांच कराने की उम्मीद है।