आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ में सोमवार को 69 हजार शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरक्षण में घोटाले का आरोप लगाकर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। प्रदर्शन की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस की अभ्यर्थियों से नोकझोंक हुई। जिसके बाद पुलिस ने अभ्यर्थियों को रोडवेज बस में जबरदस्ती बैठाकर धरना स्थल इको गार्डन भेज दिया।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला किया गया। इसी कारण से आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित हो गए। अभ्यर्थियों ने कहा कि आज वे दर-दर भटक रहे हैं, जबकि उन्हें स्कूलों में होना चाहिए। अपनी आवाज पिछड़े-दलित विधायकों और मंत्रियों तक पहुंचाएंगे। वे इसके लिए लखनऊ की सड़कों पर तांडव करेंगे। जैसे वे नहीं सो पा रहे हैं, उसी तरह विधायक-मंत्री भी नहीं सो पाएंगे।
अभ्यर्थियों ने कहा कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में अनियमितता हुई है। इस कारण आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए। मामले की हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई हुई। फैसला उनके पक्ष में आया, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण उसका पालन नहीं हो सका। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी पक्ष रखने से पीछे हट रही है।
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प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया। उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने नियमों का पालन करते हुए तीन महीने के अंदर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया। लेकिन, सरकार हीला हवाली करती रही। मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया। कोर्ट में 20 से अधिक तारीखें लगी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।




















