आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चंद्रशेखर ने पूछा, सात जजों में कितने दलित व आदिवासी

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फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कोटे के अंदर कोटा बनाने की मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों ने संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। अब इसको लेकर नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने विरोध जताया है। साथ ही सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के सात जजों में से कितने दलित, आदिवासी थे?

आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के सात जजों में से कितने दलित, आदिवासी थे? क्या उन्हें हमारे दर्द का एहसास है? सबसे पहले वर्गीकरण सुप्रीम कोर्ट से शुरू होना चाहिए। जाति जनगणना करें और संख्या के आधार पर हिस्सा दें।” चंद्रशेखर ने जजों पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि क्या उनको हमार पीड़ा का एहसास है।

साथ ही कहा कि दर्द, आर्थिक स्थिति का, समाजिक स्थिति का एहसास है और जो जुल्म हमपे होता हो उसका एहसास है। उन्होंने कहा कि क्या एससी-एसटी के लोगों से बेहतर एससी-एसटी के बारे में कोई सोच सकता है। अगर सोच सकता है कि 73 सालों में क्यों नहीं सोचा।

चंद्रशेखर आजाद ने सवाल पूछते हुए कहा कि है कहीं आरक्षण निजीकरण इतना कर दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कभी कुछ कहा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वर्गीकरण सुप्रीम कोर्ट से स्टार्ट हो। जब चंद्रशेखर आजाद से पूछा गया कि क्या कोटे के अंदर कोटा होना चाहिए या नहीं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि संख्या की जनगणना कर लो। 15 प्रतिशत ही रह गई है क्या? क्या पता 20-25 प्रतिशत पहुंच गई हो। 15 प्रतिशत में से देना चाहते हो तो संख्या के आधार पर हिस्सा दे दो न? जिसकी जितना संख्या उसको उतना प्रतिशत हिस्सा देना चाहिए। ऐसे में किसी के साथ कोई धोखा नहीं होगा।

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गौरतलब है कि सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआइ डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।

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