दर्दनाक: सुबह से शाम तक श्मशान पर मां की लाश के पास छोटी बहनों को लेकर बैठा रहा आठ साल का आयुष, जानें क्‍यों

मासूम
श्मशान पर मां की लाश के पास अंतिम संस्कार के इंतजार में बैठे मासूम भाई-बहन।

आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। राजधानी में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। इस बार श्मशान घाट पर मां के दाह संस्‍कार के लिए आठ साल का बेटा मात्र पांच साल की अपनी जुड़वा बहनों के साथ सुबह से शाम तक बैठा रहा। मासूमों के नाना भी श्मशान पर लोगों से बेटी के अंतिम संस्‍कार कराने की मिन्‍नतें करते रहें, लेकिन किसी को तरस नहीं आया। बाद में एक मीडियाकर्मी की इस संवेदनहीन घटना पर निगाह पड़ी तो हरकत में आई इलाकाई पुलिस और समाजसेवियों ने महिला की लाश का अंतिम संस्‍कार कराकर हालात के मारे मासूमों और बुजुर्ग को घर भेजा।

ये है मामला

पीजीआई इलाके के पिपरौली गांव निवासी शिवप्रकाश सिंह(65) अपनी बेटी नीलम सिंह(35) समेत नाती आयुष(8) पांच साल की जुड़वा नतनी आयुषी और अनन्‍या के साथ एक किराए के मकान में रहते थे। शिवप्रकाश ने बताया कि कई दिनों से बेटी की तबियत खराब चल रही थी। लेकिन गरीबी के चलते अस्‍पताल जाने की वह लोग हिम्‍मत नही जुटा पा रहे थे। रविवार को ज्‍यादा हालत बिगड़ने पर उसे किसी तरह से आशियान के लोकबन्‍धु अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत गंभीर होती देख डॉक्‍टरों ने उसे बलरामपुर अस्‍पताल के लिए रेफर कर दिया। जहां आज भोर में नीलम की सांसें थम गयी।

मकानमालिक ने शर्मसार की मानवता

शिवप्रकाश ने कहा कि बेटी की मौत के बाद वह लाश लेकर मासूम बच्‍चों के साथ शव वाहन सेवा से घर पहुंचा, लेकिन मकानमालिक ने लाश को घर के अंदर नहीं ले जाने दिया। मकानमालिक के विरोध पर वाहन का ड्राइवर सुबह आठ बजे हम लोगों को तेलीबाग के श्मशान पर शव समेत छोड़कर चला गया।

पत्रकार ने निभाया इंसानियत का फर्ज

पास में पैसा नहीं होने के चलते बुजुर्ग अपनी बेटी की लाश लेकर श्मशान पर ही शाम तक बैठा रहा। इस दौरान मां की आंचल की छांव के नीचे खेलने की उम्र वाले आयुष, आयुषी और अनन्‍या भी उसके लाश के पास ही बैठे सुबुकते रहें, लेकिन भागमभाग वाली दुनिया के श्मशान पर भी किसी ने उनकी बात सुनी न समझी। शाम करीब पांच बजे एक समाचार पत्र के पत्रकार दयाशंकर शास्‍त्री की निगांह एक मां की लाश उसके मासूम बच्‍चों की रोनी सूरत और हालात से टूट चुके बुजुर्ग पर पड़ी। मामले की नजाकत भांपते हुए दयाशंकर ने न सिर्फ पूरा मामला समझा बल्कि एक पत्रकार के साथ अच्‍छे नागरिक का फर्ज निभाते हुए पुलिस से लेकर समाजसेवियों तक यह दर्दनाक घटना की जानकारी पहुंचाई।

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जानकारी लगते ही पुलिस ने भी इंसानियत वाला ही कदम उठाया और कुछ ही देर में चौकी इंचार्ज साउथ सिटी रणविजय सिंह मौके पर पहुंच गए। चौकी इंचार्ज ने बिना समय गंवाएं दाह संस्‍कार की तैयारी अपने स्‍तर से कराना शुरू किया। इसी बीच समाजसेवी एसके द्विवेदी समेत अजय भारती, प्रताप सिंह व धर्मराज रावत भी वहां पहुंचे और पत्रकार व चौकी इंचार्ज के साथ मिलकर नीलम का अंतिम संस्‍कार कराने के अलावा हालात के मारे परिवार की आर्थिक सहायता भी की।

नीलम ने की थी लव मैरिज, छोड़कर भाग गया पति

कहते है जब वक्‍त की मार पड़ती है तो चारों तरफ से पड़ती है। शायद यही वजह थी कि लव मैरीज करने के बाद नीलम की जिंदगी में प्‍यार नहीं था। शिव प्रकाश सिंह ने बताया कि नीलम ने बहराइच के एक युवक के साथ प्रेम विवाह किया था, लेकिन तीन संतान होने के बाद पति उसे छोड़कर भाग गया। वहीं आयुष ने बताया कि पापा रविवार को अस्‍पताल आएं थे और दोबारा आने के बात कहकर चलें गएं।

महीनों से नहीं मिली पेंशन

शिव प्रकाश सिंह ने कहा कि वह रेलवे में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था। लेकिन इधर बीच कई महीनों से उसकी पेंशन भी नहीं आ रही थी। जबकि घर में बीमारी और दूसरे खर्चों के बोझ के चलते वह लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए।

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