आरयू वेब टीम। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को प्रदर्शन को लेकर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है। वहीं अदालत ने इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया है। अदालत ने भूपिंदर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन) व अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि हम किसानों की जमीन की रक्षा करेंगे। हम यह कहते हुए एक अंतरिम आदेश पारित करेंगे कि संविदा खेती के लिए किसी भी किसान की जमीन नहीं बेची जा सकती है। इसके साथ ही प्रधान न्यायाधीश अरविंद शरद बोबड़े ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं, ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सभी प्रदर्शनकारियों को एक आम साइट पर ले जाया जाए। वरिष्ठ वकील विकास सिंह रामलीला मैदान या बोट क्लब की सिफारिश करते हैं। अदालत ने दिल्ली पुलिस के आवेदन पर सभी फार्म यूनियनों को नोटिस देने का भी फैसला किया है। दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
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कृषि संगठनों में से एक की ओर से पेश वकील एपी सिंह का कहना है कि उनके मुवक्किल इस बात पर सहमत हैं कि कोई भी बुजुर्ग, महिला या बच्चे विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे। सीजेआई का कहना है कि वह सभी प्रदर्शनकारी यूनियनों के लिए यह आश्वासन रिकॉर्ड पर लेगा। प्रधान न्यायाधीश अरविंद शरद बोबड़े ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति जो वास्तव में समस्या को हल करने में रुचि रखता है, उससे समिति के समक्ष जाने की उम्मीद की जाती है।
साथ ही समिति आपको दंडित नहीं करेगी या कोई आदेश पारित नहीं करेगी। यह हमें एक रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर कोई शक्ति नहीं है जो हमें स्वतंत्र समिति बनाने से रोक सकती है। हम समस्या को हल करना चाहते हैं। हम जमीनी स्थिति को समझना चाहते हैं। यह राजनीति नहीं है। आपको सहयोग करना होगा। कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे।
सीजेआइ ने कहा कि हम एक तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान समिति में नहीं जाएंगे। हम समस्या को हल करने के लिए देख रहे हैं। यदि आप अनिश्चित काल के लिए आंदोलन करना चाहते हैं, तो आप कर सकते हैं। किसानों के वकील ने कहा कि किसान कह रहे हैं कि बहुत से लोग चर्चा के लिए आए थे, लेकिन मुख्य व्यक्ति, प्रधान मंत्री नहीं आए थे। इस पर सीजेआइ ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से यह पूछने के लिए नहीं जा सकते। वह यहां पार्टी नहीं हैं।