आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक मामले पर सोमवार को सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान सीजेआइ ने एनटीए से पूछा कि बैंक लॉकर से पेपर आने में देरी हुई, क्या माना जाए कि नीट पेपर लीक हुआ? कोर्ट ने पूछा कि पेपर लॉकर से कब निकाले गए? परीक्षा किस समय हुई?
सीजेआइ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि लीक का तरीका क्या है? क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के भविष्य की बता कर रहे हैं। इसमें छात्रों का केंद्र तक आने-जाने का खर्च आदि भी शामिल है। हमें इस बात को भी देखना है की भविष्य में इस तरह की बात न हो उसको लेकर क्या किया जा सकता है।
साथ ही सीजेआइ ने कहा कि अगर एकबार के लिए हम यह मान लें कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, तो आज हम धोखाधड़ी के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करने जा रहे हैं? लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार के बजाए गुरुवार को सुनवाई करेगा।
दरअसल मामले पर सुनवाई के दौरान एनटीए के वकील ने कहा कि पांच मई को लगभग 10:30-11 बजे के बीच निकाले गए थे। फिर सीजेआइ ने पूछा कि कितने सेंटर और कितने छात्र परीक्षा में शामिल हुए? इसपर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा करीब 24 लाख बच्चे शामिल हुए। उन्होंने फिर पूछा कि कागजात विदेश में कैसे वितरित किए गए? उन्हें विदेश कब भेजा गया? इस पर एनटीए के वकील कौशिक ने बताया कि दूतावासों के जरिए पेपर भेजे गए।
दूतावासों में कैसे भेजा गया?
सीजेआइ ने आगे पूछा कि उन्हें दूतावासों में कैसे भेजा गया? राजनयिक बैग या कूरियर। इस पर एनटीए ने कहा कि हम पता लगाएंगे। साथ ही सीजेआइ ने आगे पूछा कि दो प्रश्न पत्र पुस्तिकाएं कब शहरों में भेजी गईं? क्या उन्हें इन शहरों में दो बैंकों में जमा किया गया था? प्रश्न पत्र एक व्यक्ति द्वारा तैयार किए जाते हैं या कई लोगों द्वारा..? सीजेआइ ने कहा की परीक्षा और पेपर लिक होने की घटना में समय का बहुत अंतर है। वहीं सीजेआइ ने टिप्पणी करते हुए कहा की अगर परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है तो दोबारा परीक्षा के आदेश दे सकते हैं। हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि 23 लाख छात्र हैं।
अभ्यर्थियों के भविष्य का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये भी देखना होगा की पेपर लीक किस तरह से हुआ है। ये प्रतिकूल मामला नहीं है, क्योंकि हम जो भी फैसला लेंगे। वह अभ्यर्थियों के भविष्य का मामला होगा। 67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक पाए थे। यह अनुपात बहुत कम है। दूसरा मामला केंद्रों में बदलाव का है। यदि कोई अहमदाबाद में पंजीकरण करता है और अचानक पहुंच जाता है। तो हमें यह पता करना होगा कि यह कैसे हुआ। सीजेआइ ने एनटीए से पूछा कि पेपर किसकी कस्टडी में रखे गए थे? एनटीए ने पेपर शहरों के बैंकों को कब भेजे? हम जानना चाहते हैं कि प्रिंटिंग प्रेस कौन सी है और ट्रांसपोर्टेशन के क्या इंतजाम थे?
पूरी परीक्षा रद्द करना उचित नहीं
वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने री-एग्जाम को लेकर अपनी बात रखी। शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के डायरेक्टर वरुण भारद्वाज ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके नीट एग्जाम रद्द की मांग का विरोध किया था। सरकार ने हलफनामे में कहा कि कथित गड़बड़ी केवल पटना और गुजरात के गोधरा केंद्रों में हुई थी। ऐसे में पूरी परीक्षा रद्द करना उचित नहीं होगा। अगर पूरी परीक्षा प्रक्रिया रद्द कर दी जाती है तो यह लाखों छात्रों के शैक्षणिक करियर को भारी नुकसान होगा, फिलहाल पेपर लीक मामले में सीबीआइ जांच कर रही है।
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सीजेआइ ने कहा की अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? इस पर हमें विस्तार से बताइए। जो भी हम फैसला लेंगे उससे लाखों छात्र प्रभावित होंगे। साथ ही कहा कि 720 अंक जिन छात्रों को मिले है उनमें से कोई रेड फ्लैग तो नही? अगर ऐसा हो तो क्या इसकी जांच हो सकती है? अगर लीक टेलीग्राम/व्हाट्सएप या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है तो यह जंगल में आग की तरह फैलता है। वहीं अगर लीक पांच तारीख की सुबह हुआ तो फैलने का समय सीमित था।
सीजेआइ ने एनटीए से पूछा कि हमने सौ शीर्ष रैंकिंग वाले छात्रों के पैटर्न की जांच की। विश्लेषण से पता चला कि वे 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 56 शहरों में 95 केंद्रों से ये छात्र थे। सीजेआइ ने पूछा कितने एफआइआर दर्ज हुए है? एनटीए की तरफ से कहा गया की एक पटना में हुआ है। बाकी याचिकाकर्ता छह एफआइआर का जिक्र रहे हैं। बाकी जानकारी अगर अदालत चाहे तो हम कल दे सकते है?