आरयू ब्यूरो, लखनऊ। प्राथमिक के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय इंटर कॉलेजों में 21 मई से दस जून तक समर कैंप आयोजित करने के आदेश दिए हैं, जिसका उद्देश्य छात्रों के बहुमुखी विकास के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित करना है। अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय ने टीम के सदस्यों को निर्देश दिया है। इन टीमों को 12 जून तक अपनी रिपोर्ट राज्य परियोजना कार्यालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कैंप की तैयारियों में सुधार किया जा सके।
आवंटित मंडल में कम से कम दस (छह इंटर कॉलेज, चार हाईस्कूल व एक पीएमश्री) राजकीय विद्यालय का अनिवार्य रूप से शैक्षिक पर्यवेक्षण कर अपनी रिपोर्ट राज्य परियोजना कार्यालय को दें। पहले बेसिक विद्यालयों में समर कैंप आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे और अब माध्यमिक विद्यालयों में भी यह आदेश जारी किए गए हैं।
राज्य परियोजना निदेशालय ने कैंप के दौरान गतिविधियों की निगरानी के लिए मंडलवार टीमों की तैनाती भी की है, हालांकि इस आदेश के बाद शिक्षकों में नाराजगी बढ़ गई है और उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि इस भीषण गर्मी में समर कैंप का आयोजन करना संभव नहीं है।
राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर कहा है कि गर्मी के कारण प्रदेश के कई हिस्सों, खासकर प्रयागराज और बुंदेलखंड में स्थिति बहुत कठिन है। शिक्षकों का कहना है कि छात्र और शिक्षक पहले ही अत्यधिक गर्मी के कारण बीमार हो रहे हैं, ऐसे में समर कैंप का आयोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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संघ के नेताओं ने आरोप लगाया है कि अधिकारी एसी कमरों में बैठकर कैंप की रूपरेखा बना रहे हैं, जबकि बुंदेलखंड में कई स्कूलों में पीने का पानी तक नहीं है। उन्होंने समर कैंप की तैयारियों को पुनः परखने की मांग की और गर्मी की छुट्टियों में काम करने के बदले शिक्षकों को ईएल (अर्जित अवकाश) देने की भी मांग की है।